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गणगौर मेला 2025: सूरौठ में सांस्कृतिक धूम, देखें हेला ख्याल से लेकर माता की सवारी तक का भव्य आयोजन

रविवार, 30 मार्च 2025 को सूरौठ कस्बे में प्रसिद्ध गणगौर मेला शुरू हो गया है। यह चार दिवसीय मेला हर साल बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। मेला कमेटी और सर्व समाज के लोगों ने कल शनिवार शाम तक मेले की तैयारियों को अंतिम रूप दे दिया था। आज से शुरू हुआ यह मेला 2 अप्रैल तक चलेगा।

मेले की तैयारियां

मेला शुरू होने से पहले पूरे सूरौठ कस्बे में रौनक दिखाई दे रही थी। दुकानदारों ने अपनी दुकानें सजा ली हैं। मुख्य चौराहे से तालाब की ओर जाने वाले मार्ग पर अस्थाई दुकानें लगाई गई हैं। इन दुकानों पर खिलौने, मिठाई, फैंसी सामान और हस्तशिल्प उत्पाद बिक रहे हैं।

गांधी स्मारक मैदान में रहट और अन्य मनोरंजन के साधनों की व्यवस्था की गई है। बच्चों के लिए झूले लगाए गए हैं। यहां परिवार के साथ आने वालों के लिए विशेष बैठने की व्यवस्था भी की गई है।

सांस्कृतिक कार्यक्रमों की झलक

इस चार दिवसीय मेले में कई तरह के सांस्कृतिक कार्यक्रम होने बाले है। जैसे की हेला ख्याल, हरि कीर्तन, जिकड़ी दंगल और लोक नृत्य सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।

आज रात 9 बजे से लोक नृत्य कार्यक्रम शुरू होगा। इसमें टोंक के प्रसिद्ध कलाकार सुरेश राव और उनकी मंडली प्रस्तुति देगी। कई अन्य स्थानीय कलाकार भी अपने कौशल का प्रदर्शन करेंगे।

मेला कार्यक्रम की रूपरेखा

गणगौर मेले का पूरा कार्यक्रम इस प्रकार है:

  • 30 मार्च (आज): मेले का उद्घाटन और रात को लोक नृत्य कार्यक्रम
  • 31 मार्च: दोपहर बाद बैंड बाजों और आकर्षक झांकियों के साथ गणगौर माता की सवारी
  • 1 अप्रैल: सुबह से हेला ख्याल दंगल और दोपहर बाद फिर से गणगौर माता की सवारी
  • 2 अप्रैल: शाम को हेला ख्याल दंगल के समापन के साथ गणगौर मेले का समारोह पूर्वक समापन

गणगौर का महत्व

गणगौर त्योहार राजस्थान में बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। यह त्योहार भगवान शिव और देवी पार्वती की पूजा के लिए मनाया जाता है। ‘गण’ का अर्थ है शिव और ‘गौर’ का अर्थ है पार्वती।

विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती हैं। कुंवारी लड़कियां अच्छे वर की प्राप्ति के लिए पूजा करती हैं। इस अवसर पर महिलाएं सोलह श्रृंगार करती हैं और नए कपड़े पहनती हैं।

सूरौठ का गणगौर मेला

सूरौठ का गणगौर मेला क्षेत्र में काफी प्रसिद्ध है। यहां का मेला आसपास के गांवों और कस्बों से लोगों को आकर्षित करता है। कई लोग दूर-दूर से इस मेले को देखने आते हैं।

स्थानीय व्यापारियों के लिए यह मेला अच्छी आमदनी का अवसर है। कई हस्तशिल्प कलाकार अपने उत्पाद बेचने के लिए मेले में आते हैं। इससे क्षेत्र की अर्थव्यवस्था को भी बढ़ावा मिलता है।

गणगौर सवारी का आकर्षण

मेले का सबसे बड़ा आकर्षण गणगौर माता की सवारी है। यह 31 मार्च और 1 अप्रैल को दोपहर बाद निकाली जाएगी। सवारी में बैंड बाजे और आकर्षक झांकियां होंगी

सवारी में गणगौर माता की प्रतिमा को सजाया जाता है। महिलाएं पारंपरिक गीत गाती हुई सवारी के साथ चलती हैं। पुरुष वाद्य यंत्र बजाते हैं। यह दृश्य बहुत ही मनमोहक होता है।

हेला ख्याल दंगल

हेला ख्याल राजस्थान का एक पारंपरिक लोक नाट्य है। इसमें कलाकार धार्मिक और सामाजिक कहानियों को प्रस्तुत करते हैं। यह दंगल 1 अप्रैल की सुबह से शुरू होगा।

इस दंगल में अनुभवी कलाकार भाग लेंगे। मेले के अंतिम दिन 2 अप्रैल को इसका समापन होगा। इस प्रस्तुति को देखने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं।

मेला कमेटी की भूमिका

मेला कमेटी ने इस आयोजन की सफलता के लिए कड़ी मेहनत की है। कमेटी के सदस्यों ने सुरक्षा, साफ-सफाई और पेयजल की उचित व्यवस्था की है।

कमेटी अध्यक्ष ने बताया कि इस बार मेले में विशेष सुरक्षा इंतजाम किए गए हैं। महिलाओं की सुरक्षा पर विशेष ध्यान दिया गया है। पुलिस कर्मी भी तैनात किए गए हैं।

स्थानीय लोगों की भागीदारी

गणगौर मेले की सफलता में स्थानीय लोगों की भागीदारी महत्वपूर्ण है। सर्व समाज के लोगों ने मिलकर सभी तैयारियां की हैं। युवाओं ने स्वयंसेवक के रूप में अपनी सेवाएं दी हैं।

स्थानीय व्यापारियों ने भी मेले के लिए आर्थिक सहायता प्रदान की है। यह सामूहिक प्रयास ही मेले को हर साल सफल बनाता है।

पर्यटकों के लिए सुविधाएं

मेले में आने वाले पर्यटकों के लिए विशेष सुविधाएं हैं। पार्किंग की व्यवस्था की गई है। शौचालय और पेयजल की सुविधा भी उपलब्ध है।

स्वास्थ्य सेवाओं के लिए एक अस्थाई चिकित्सा शिविर लगाया गया है। किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए एंबुलेंस की व्यवस्था भी है।

गणगौर मेला सूरौठ की संस्कृति और परंपरा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह न केवल धार्मिक उत्सव है बल्कि सामाजिक एकता का भी प्रतीक है। चार दिनों तक चलने वाला यह मेला सूरौठ में रौनक और खुशियां लेकर आता है।

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