heatwave in india: 28 मार्च, 2025: भारतीय मौसम विभाग ने आज एक बड़ी चेतावनी जारी की है। विभाग के अनुसार साल 2025 भारत के लिए अब तक का सबसे गर्म वर्ष होने जा रहा है। मौसम विशेषज्ञों का कहना है कि इस साल हीटवेव (heatwave) के दिनों की संख्या दोगुनी हो सकती है। यह खबर चिंता का विषय बन गई है।
बढ़ती गर्मी का प्रकोप
देश के कई हिस्सों में अभी से ही गर्मी ने अपना असर दिखाना शुरू कर दिया है। मार्च में ही अप्रैल जैसी गर्मी महसूस की जा रही है। कई राज्यों में पारा पहले ही 40 डिग्री सेल्सियस को पार कर गया है। यह बहुत ही चिंताजनक स्थिति है।
आमतौर पर अप्रैल से जून के महीनों में हीटवेव (heatwave) 5-6 दिन तक चलती है। लेकिन इस बार यह 10-12 दिनों तक चलने का अनुमान है। इससे हीट स्ट्रोक और हीट से संबंधित बीमारियों का खतरा बढ़ जाएगा। लोगों को सावधानी बरतने की जरूरत है।
उत्तरी और मध्य भारत पर सबसे ज्यादा असर
उत्तर-पश्चिम भारत में स्थिति सबसे ज्यादा खराब होने वाली है। हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, उत्तराखंड, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान और दिल्ली में हीटवेव के दिनों की संख्या दोगुनी होने की आशंका है।
राजस्थान में कई जगहों पर तापमान 45 डिग्री सेल्सियस से ऊपर जा सकता है। उत्तर प्रदेश में भी लू का प्रकोप ज्यादा रहेगा। हरियाणा और दिल्ली भी इसकी चपेट में रहेंगे।
मध्य प्रदेश में भी हीटवेव का प्रभाव ज्यादा रहेगा। मध्य प्रदेश ने हीटवेव को पहले ही प्राकृतिक आपदा घोषित कर दिया है। यह एक बड़ा कदम है। इससे राज्य में पीड़ितों को राहत मिलेगी।
हीटवेव क्या होती है?
हीटवेव वह स्थिति होती है जब तापमान सामान्य से बहुत अधिक हो जाता है। मैदानी इलाकों में अगर तापमान 40 डिग्री सेल्सियस से ऊपर हो जाए तो उसे हीटवेव कहते हैं।
तटीय इलाकों में 37 डिग्री सेल्सियस से ऊपर का तापमान हीटवेव माना जाता है। पहाड़ी क्षेत्रों में 30 डिग्री सेल्सियस से ऊपर भी खतरनाक होता है। सामान्य से 5 डिग्री ज्यादा तापमान को हीटवेव कहा जाता है।
अगर तापमान सामान्य से 6.5 डिग्री या उससे ज्यादा बढ़ जाए, तो उसे गंभीर हीटवेव माना जाता है। इस साल ऐसी ही स्थिति बनने वाली है। इससे जान-माल का नुकसान हो सकता है।
साल 2024 का रिकॉर्ड
पिछला साल 2024 भी भारत के लिए बहुत गर्म रहा था। इसमें कई दिनों तक हीटवेव (heatwave) का प्रभाव देखा गया था। औसत तापमान 25.75 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया था। यह सामान्य से 0.65 डिग्री ज्यादा था।
2024 में न्यूनतम तापमान भी 20.24 डिग्री सेल्सियस था। यह सामान्य से 0.90 डिग्री ज्यादा था। अधिकतम तापमान 31.25 डिग्री सेल्सियस पहुंच गया था। यह सामान्य से 0.20 डिग्री ज्यादा था।
जलवायु परिवर्तन का असर
जलवायु परिवर्तन की वजह से ऐसी स्थिति बन रही है। पृथ्वी का तापमान लगातार बढ़ रहा है। इसका असर अब हर देश पर दिखने लगा है। भारत भी इससे अछूता नहीं है।
विशेषज्ञों का मानना है कि अगर हम अभी नहीं संभले, तो आने वाले वर्षों में स्थिति और बद्तर होगी। सभी को मिलकर प्रयास करने होंगे। पेड़ लगाने होंगे। पर्यावरण की रक्षा करनी होगी।
संयुक्त राष्ट्र ने भी इस बारे में चेतावनी दी है। उनके मुताबिक जलवायु परिवर्तन से प्राकृतिक आपदाएं बढ़ेंगी। दुनिया भर में इससे व्यापक नुकसान होगा।
भारतीय मौसम विभाग की 150वीं वर्षगांठ
भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने इस साल अपनी स्थापना के 150 साल पूरे किए हैं। IMD की स्थापना 1875 में हुई थी। 150 सालों से यह विभाग देश के मौसम की निगरानी कर रहा है।
इस लंबे अनुभव के आधार पर IMD ने यह चेतावनी जारी की है। IMD के मुताबिक, लोगों को गर्मी से बचने के लिए सावधानी बरतनी चाहिए। बिना जरूरत घर से बाहर न निकलें।
बचाव के उपाय
इतनी भीषण गर्मी से बचने के कुछ उपाय हैं। दोपहर 11 बजे से 4 बजे तक घर से बाहर न निकलें। बाहर निकलते वक्त सिर पर कपड़ा या टोपी जरूर पहनें।
खूब पानी पिएं। तरल पदार्थों का सेवन ज्यादा करें। हल्के रंग के ढीले-ढाले कपड़े पहनें। घर को ठंडा रखने की कोशिश करें।
बुजुर्गों और बच्चों का विशेष ध्यान रखें। उन्हें गर्मी से बचाएं। अगर गर्मी से किसी को चक्कर आए या बेहोशी जैसी स्थिति हो, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
सरकारी तैयारियां
केंद्र और राज्य सरकारें इस स्थिति से निपटने के लिए तैयारी कर रही हैं। शहरों में कूलिंग सेंटर बनाए जा रहे हैं। पीने के पानी की व्यवस्था की जा रही है।
स्कूलों के टाइम में बदलाव किया जा रहा है। अस्पतालों में विशेष वार्ड बनाए जा रहे हैं। हीटस्ट्रोक के मरीजों के लिए विशेष इंतजाम किए जा रहे हैं।
लोगों को जागरूक करने के लिए अभियान चलाए जा रहे हैं। रेडियो, TV और सोशल मीडिया पर सूचनाएं दी जा रही हैं। हर नागरिक को इन सूचनाओं का पालन करना चाहिए।