शुक्रवार, 28 मार्च 2025 को म्यांमार में एक भयंकर भूकंप (Earthquake) आया। इसकी तीव्रता रिक्टर पैमाने पर 7.7 मापी गई। इस भूकंप का असर पड़ोसी देश थाईलैंड में भी महसूस किया गया। दोनों देशों ने आपातकाल की घोषणा कर दी है। कई इमारतें गिर गई हैं। लोग सड़कों पर आ गए हैं। बचाव कार्य जारी है।
भूकंप का विवरण
भूकंप (earthquake) का केंद्र म्यांमार में था। उसके झटके थाईलैंड के बैंकॉक शहर तक महसूस किए गए। भूकंप इतना तेज था कि लोग घरों से बाहर भाग गए। चार घंटे से भी कम समय में चार बार भूकंप के झटके आए। लोगों में दहशत फैल गई है।
झटके कई मिनट तक महसूस किए गए। ऊंची इमारतें हिलने लगीं। कांच के शीशे टूट गए। लोग घबराकर सड़कों पर आ गए। कुछ ने अपने परिवार को लेकर खुले मैदानों में शरण ली। कई जगह बिजली की आपूर्ति ठप हो गई।
बैंकॉक में एक बहुमंजिला इमारत पूरी तरह से ढह गई। इससे 3 लोगों की मौत हो गई है। लगभग 90 लोग अभी भी लापता हैं। वे मलबे के नीचे दबे हैं। बचाव दल उन्हें निकालने की कोशिश कर रहे हैं।
आपातकाल की स्थिति
म्यांमार और थाईलैंड दोनों देशों में आपातकाल की घोषणा की गई है। दोनों देशों की सरकारें हालात पर नजर रखे हुए हैं। सभी सरकारी एजेंसियां बचाव और राहत कार्य में जुटी हैं। सेना और आपदा प्रबंधन के दल भी तैनात किए गए हैं।
थाईलैंड के प्रधानमंत्री ने खुद मोर्चा संभाला है। उन्होंने भूकंप(Earthquake) प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया है। बचाव कार्य का जायजा लिया है। सभी स्तरों पर समन्वय बनाने के निर्देश दिए हैं। पीड़ितों को हर संभव मदद देने का वादा किया है।
बैंकॉक में रहने बालो ने बताया, “हर कोई डरा हुआ है। बच्चे भूखे हैं। हम घरों के बाहर बैठे हैं। स्थिति बहुत खराब है।” उन्होंने सभी से बैंकॉक के लिए प्रार्थना करने की अपील की है।
म्यांमार में स्थिति
म्यांमार में भूकंप (earthquake) के केंद्र के आसपास के इलाके बुरी तरह प्रभावित हुए हैं। कई गांव और कस्बे तबाह हो गए हैं। घर और इमारतें धराशायी हो गईं हैं। सड़कें टूट गई हैं। पुल क्षतिग्रस्त हो गए हैं। लोग खुले में रहने को मजबूर हैं।
म्यांमार के एक गांव के निवासी ने बताया, “मैं खेत में काम कर रहा था। अचानक धरती हिलने लगी। मैंने अपने गांव की ओर देखा। धूल का गुबार उठ रहा था। जब वापस पहुंचा तो देखा कि मेरा घर मिट्टी में मिल गया है।”
सरकारी अधिकारियों ने बताया है कि नुकसान का सही आंकलन करना अभी मुश्किल है। कई इलाकों से संपर्क टूट गया है। सड़क मार्ग बाधित हैं। हेलीकॉप्टर से राहत सामग्री पहुंचाई जा रही है। अस्पतालों में घायलों की संख्या बढ़ रही है।
थाईलैंड में प्रभाव
थाईलैंड का उत्तरी हिस्सा भूकंप से ज्यादा प्रभावित हुआ है। चियांग माई और चियांग राई जैसे शहरों में भी नुकसान हुआ है। लेकिन राजधानी बैंकॉक में एक बड़ी दुर्घटना हुई है। वहां एक ऊंची इमारत ढह गई है।
बैंकॉक में रक्षा मंत्रालय ने 90 लोगों के लापता होने की बात कही है। तीन लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है। ये सभी लोग उस बहुमंजिला इमारत में थे जो भूकंप के कारण गिर गई। बचाव दल दिन-रात काम कर रहे हैं।
बैंकॉक के एक व्यापारी ने बताया, “मैं अपनी दुकान में था। अचानक सब हिलने लगा। मैंने बाहर भागा। मैंने देखा कि पास की ऊंची इमारत झुक रही है। फिर कुछ ही पलों में वह गिर गई। चारों तरफ अफरा-तफरी मच गई।”
बैंकॉक के अन्य हिस्सों में भी कई इमारतों को नुकसान पहुंचा है। कई जगह दरारें आ गई हैं। मेट्रो और सार्वजनिक परिवहन बंद कर दिया गया है। स्कूल और कार्यालय बंद हैं। लोगों से घरों में न जाने की अपील की गई है।
बचाव और राहत कार्य
दोनों देशों में बचाव और राहत कार्य तेजी से चल रहे हैं। विशेष बचाव दलों को तैनात किया गया है। बैंकॉक में भारी मशीनों से मलबा हटाया जा रहा है। खोजी कुत्तों की मदद से मलबे में दबे लोगों का पता लगाया जा रहा है।
थाईलैंड के बैंकॉक स्थित भारतीय दूतावास ने हेल्पलाइन नंबर जारी किए हैं। थाईलैंड में रह रहे भारतीय नागरिक आपातकालीन नंबर +66 618819218 पर संपर्क कर सकते हैं। भारत सरकार ने हर संभव मदद का वादा किया है।
म्यांमार में चिकित्सा शिविर लगाए गए हैं। घायलों का इलाज किया जा रहा है। भोजन, पानी और दवाएं पहुंचाई जा रही हैं। कई लोग बेघर हो गए हैं। उन्हें अस्थायी आश्रय दिए जा रहे हैं। तंबू और कंबल बांटे जा रहे हैं।
अंतरराष्ट्रीय मदद
भूकंप की खबर फैलते ही कई देशों ने मदद का हाथ बढ़ाया है। भारत ने म्यांमार और थाईलैंड दोनों देशों को मदद की पेशकश की है। राहत सामग्री भेजने की तैयारी चल रही है। बचाव दलों को भी भेजा जा रहा है।
जापान, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया जैसे देश भी आगे आए हैं। विशेषज्ञ बचाव दलों को भेजा जा रहा है। भूकंप के बाद के प्रभावों से निपटने में मदद की जा रही है। संयुक्त राष्ट्र ने भी अपनी टीमों को भेजा है।
अंतरराष्ट्रीय रेड क्रॉस और अन्य गैर-सरकारी संगठन भी सक्रिय हैं। वे राहत शिविर चला रहे हैं। चिकित्सा सहायता दे रहे हैं। स्वयंसेवक मदद के लिए आगे आए हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने दवाइयां और चिकित्सा उपकरण भेजे हैं।
आगे की चिंताएं
विशेषज्ञों का कहना है कि अभी आफ्टरशॉक आ सकते हैं। ये झटके कम तीव्रता के होंगे। लेकिन क्षतिग्रस्त इमारतों को और नुकसान पहुंचा सकते हैं। लोगों से सतर्क रहने को कहा गया है। कमजोर इमारतों में न जाने की सलाह दी गई है।
बारिश होने की भी संभावना है। इससे बचाव कार्य में बाधा आ सकती है। मलबे के नीचे फंसे लोगों को निकालना और मुश्किल हो सकता है। पानी और बिजली की आपूर्ति बहाल करने में समय लगेगा।जलजनित बीमारियों का खतरा भी बढ़ सकता है। स्वच्छता की समस्या बड़ी चुनौती है। चिकित्सा टीमों को इसके लिए तैयार रहने के निर्देश दिए गए हैं। दवाओं का पर्याप्त भंडार रखने को कहा गया है।