नई दिल्ली: भारत ने अमेरिकी राष्ट्रीय खुफिया निदेशक (DNI) Tulsi Gabbard के सामने खालिस्तानी संगठन “सिख फॉर जस्टिस” पर प्रतिबंध लगाने और उसकी भारत-विरोधी गतिविधियों पर कार्रवाई की मांग की है। सूत्रों के मुताबिक, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने तुलसी गबार्ड के साथ हुई बैठक में यह मुद्दा उठाया। भारत का कहना है कि यह संगठन अमेरिकी धरती से भारत के खिलाफ उकसाऊ और हिंसक गतिविधियों को बढ़ावा दे रहा है, जिससे दोनों देशों के संबंधों को भी खतरा हो सकता है।
तुलसी गबार्ड कौन हैं?
तुलसी गबार्ड अमेरिका की पहली हिंदू कांग्रेसवुमन हैं और डेमोक्रेटिक पार्टी की तरफ से हवाई राज्य का प्रतिनिधित्व करती हैं। वह पिछले 16 साल से अमेरिकी सेना (नेशनल गार्ड) में मेजर के पद पर सेवाएं दे रही हैं। हाल ही में उन्हें अमेरिकी राष्ट्रीय खुफिया निदेशक (DNI) नियुक्त किया गया है, जो CIA, FBI और NSA समेत 18 खुफिया एजेंसियों की निगरानी करती है। हालांकि, इस नियुक्ति पर कुछ विवाद भी हुए थे, क्योंकि कुछ लोगों ने उनके अनुभव को लेकर सवाल उठाए थे।
“सिख्स फॉर जस्टिस” क्या है?
यह संगठन खुद को सिख समुदाय के अधिकारों के लिए लड़ने वाला बताता है, लेकिन भारत सरकार इसे खालिस्तानी अलगाववादी गुट मानती है। 2007 में अमेरिका में गुरपतवंत सिंह पन्नू द्वारा स्थापित इस संगठन का मुख्य मकसद भारत से पंजाब को अलग करके “खालिस्तान” नाम का देश बनाना है। इसके लिए “रेफरेंडम 2020” जैसे अभियानों के जरिए दुनियाभर के सिखों को जोड़ने की कोशिश की गई है। भारत ने 2019 में इसे गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) के तहत प्रतिबंधित कर दिया था।
भारत-अमेरिका संबंधों पर तुलसी का बयान
Tulsi Gabbard नई दिल्ली में थिंक टैंक ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन के वार्षिक “रायसीना डायलॉग” में शामिल होने आई थीं। उन्होंने कहा कि भारत और अमेरिका के बीच आर्थिक संबंधों को मजबूत करने का बड़ा अवसर है। टैरिफ को लेकर ट्रंप प्रशासन की धमकी के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, “दोनों देशों के शीर्ष नेताओं के बीच सीधी बातचीत चल रही है। प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति ट्रंप दोनों अपने-अपने देश के हितों को ध्यान में रखते हुए एक अच्छा समाधान ढूंढ रहे हैं।”
उन्होंने यह भी कहा कि भारतीय अधिकारी इस मुद्दे को नकारात्मक नजरिए से नहीं, बल्कि सकारात्मक तरीके से देख रहे हैं। तुलसी ने जोर देकर कहा, “निजी क्षेत्र में भारत और अमेरिका के बीच गहरी दिलचस्पी है, जो आर्थिक साझेदारी को बढ़ावा दे सकती है।”
बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर चिंता
Tulsi Gabbard ने एक इंटरव्यू में बताया की बांग्लादेश में धार्मिक अल्पसंख्यकों (हिंदू, बौद्ध, ईसाई) के उत्पीड़न पर भी चिंता जताई। उन्होंने कहा, “अमेरिका सरकार इन हिंसक घटनाओं से बेहद चिंतित है। ट्रंप प्रशासन का लक्ष्य वैश्विक स्तर पर इस्लामिक आतंकवाद को खत्म करना है।”
क्यों अहम है यह यात्रा?
Tulsi Gabbard की यह यात्रा भारत-अमेरिका संबंधों को नई दिशा देने के लिए महत्वपूर्ण मानी जा रही है, खासकर तब जब दोनों देश चीन के बढ़ते प्रभाव और आर्थिक मुद्दों पर सहमति बना रहे हैं। यह डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद किसी अमेरिकी शीर्ष अधिकारी की पहली भारत यात्रा है।
लोग क्या कह रहे हैं?
भारतीय विशेषज्ञों का मानना है कि “सिख फॉर जस्टिस” जैसे संगठनों पर अमेरिका का रुख साफ करना जरूरी है, क्योंकि यह दोनों देशों की सुरक्षा के लिए खतरा है। वहीं, कुछ लोग तुलसी गब्बार्ड की नियुक्ति को भारत-अमेरिका रिश्तों के लिए सकारात्मक कदम मानते हैं, क्योंकि वह भारतीय संस्कृति और हितों को समझती हैं।
आगे की राह
तुलसी गबार्ड ने अपनी इस यात्रा में जापान और थाईलैंड का भी दौरा किया है। विश्लेषकों के मुताबिक, अमेरिका भारत-प्रशांत क्षेत्र में अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज कराना चाहता है, जिसमें भारत एक अहम साझेदार है। टैरिफ और सुरक्षा जैसे मुद्दों पर दोनों देशों का सहयोग आने वाले समय में और गहरा हो सकता है।
निष्कर्ष: तुलसी गबार्ड की भारत यात्रा ने दोनों देशों के बीच सुरक्षा, आर्थिक सहयोग और आतंकवाद जैसे मुद्दों पर नई बातचीत का रास्ता खोला है। “सिख फॉर जस्टिस” पर प्रतिबंध की मांग इस बात का संकेत है कि भारत अमेरिका से गंभीर कार्रवाई की उम्मीद कर रहा है। अब देखना यह है कि अमेरिका इस मुद्दे पर कितना सहयोग करता है और क्या दोनों देश चीन जैसी चुनौतियों के बीच एक-दूसरे के विश्वसनीय साझेदार बन पाते हैं।