अलवर न्यूज़: सोमवार, 14 अप्रैल 2025 को अलवर से एक बड़ी खबर सामने आ रही है। लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी आज अलवर आएंगे। वे राजस्थान के नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली के साथ उसी मंदिर में दर्शन करेंगे, जिसमें कुछ दिन पहले भाजपा नेता ज्ञानदेव आहूजा ने गंगाजल छिड़का था। यह कार्यक्रम डॉ. भीमराव अंबेडकर की जयंती के दिन हो रहा है।
क्यों खास है यह दौरा?
राहुल गांधी का आज सुबह 8 बजे अलवर पहुंचने का कार्यक्रम तय है। पहले योजना थी कि उनका हेलीकॉप्टर सेंट्रल स्कूल के हेलीपैड पर उतरेगा। लेकिन अब कुछ कारणों से यह हेलीकॉप्टर इंदिरा गांधी स्टेडियम में उतारा जाएगा।
अलवर पहुंचने के बाद राहुल गांधी सबसे पहले कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव भंवर जितेन्द्र सिंह के घर जाएंगे। वहां से वे डेढ़ किलोमीटर दूर डॉ. भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा पर माल्यार्पण करेंगे। इस दौरान टीकाराम जूली, गोविंद सिंह डोटासरा, जिला अध्यक्ष योवेश मिश्रा और स्थानीय विधायक भी मौजूद रहेंगे।
अंबेडकर प्रतिमा पर माल्यार्पण के बाद राहुल गांधी चार किलोमीटर दूर सालीमार एक्सटेंशन में स्थित भक्तिश्री राम मंदिर जाएंगे। यह वही मंदिर है जहां विवाद हुआ था। इस मंदिर में राहुल गांधी पूजा-अर्चना करेंगे और हनुमान चालीसा का पाठ भी करेंगे।
विवाद की पृष्ठभूमि
इस मंदिर में हाल ही में एक बड़ा विवाद हुआ था। रामनवमी के दिन नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने इस मंदिर में दर्शन किए थे। उनके मंदिर से जाने के बाद, भाजपा नेता ज्ञानदेव आहूजा ने मंदिर को गंगाजल से शुद्ध करने की बात कही थी। इस घटना ने राज्य में बड़ा विवाद खड़ा कर दिया था।
आहूजा की इस हरकत पर भाजपा ने भी कार्रवाई की थी। पार्टी ने उन्हें निलंबित कर दिया और कारण बताओ नोटिस भी जारी किया था। लेकिन आहूजा ने माफी मांगने से इनकार कर दिया है। वे अपने बयान पर अभी भी कायम हैं।
इस घटना के बाद कांग्रेस ने भाजपा पर जमकर हमला बोला था। पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने इस घटना को शर्मनाक बताया था। अब राहुल गांधी का इस मंदिर में जाना इस मुद्दे को और गरमा देगा।
कांग्रेस की रणनीति
कांग्रेस इस मुद्दे को लगातार उठा रही है। अहमदाबाद में हुए राष्ट्रीय अधिवेशन में भी इस मुद्दे पर चर्चा हुई थी। राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और राहुल गांधी ने इस घटना को शर्मनाक बताते हुए भाजपा पर निशाना साधा था।
राहुल गांधी का इस मंदिर में जाना कांग्रेस की रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है। पार्टी दलित मतदाताओं के बीच अपनी पैठ मजबूत करना चाहती है। अंबेडकर जयंती के दिन यह कार्यक्रम इसी रणनीति का हिस्सा है।
कांग्रेस के एक नेता ने कहा, “पहले भीम के दर्शन, फिर राम के दर्शन और फिर हनुमान जी की चालीसा – यही कार्यक्रम रहेगा। इससे हम दिखाना चाहते हैं कि हम सभी वर्गों के साथ हैं।”
बीजेपी की प्रतिक्रिया
भाजपा अभी इस मुद्दे पर बैकफुट पर दिखाई दे रही है। ज्ञानदेव आहूजा का निलंबन तो कर दिया है, लेकिन पार्टी को इस विवाद से नुकसान हो रहा है। प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ ने इस मुद्दे से किनारा कर लिया है।
मदन राठौड़ ने कहा है कि भाजपा “सबका साथ, सबका विकास” की नीति पर चल रही है। लेकिन कुछ लोग “अल्प ज्ञान” के कारण पार्टी की छवि खराब कर रहे हैं।
भाजपा के राष्ट्रीय संगठन महामंत्री बी.एल. संतोष ने भी पार्टी के नेताओं को चेतावनी दी है। उन्होंने कहा है कि किसी भी वर्ग के खिलाफ बयानबाजी से बचना चाहिए।
राजनीतिक विश्लेषण
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि कोई भी राजनीतिक दल किसी मुद्दे पर राजनीति करने का मौका नहीं छोड़ता। कांग्रेस भी इस मुद्दे को अपने पक्ष में भुनाने की कोशिश कर रही है।
विश्लेषक शशि मोहन शर्मा कहते हैं, “राहुल गांधी का इस मंदिर में जाना एक संदेश है। वे अपने वोटरों और कार्यकर्ताओं के बीच यह संदेश देना चाहते हैं कि कांग्रेस दलितों के साथ खड़ी है।”
वे आगे कहते हैं, “राहुल गांधी के इस दौरे से पूरे देश के दलित समुदाय में एक संदेश जाएगा। बिहार चुनाव से पहले यह एक अहम कदम है।”
अंबेडकर जयंती का महत्व
14 अप्रैल को डॉ. भीमराव अंबेडकर की जयंती मनाई जाती है। इस दिन राहुल गांधी का अलवर दौरा और मंदिर में पूजा करना बड़ा संदेश देता है। वे सबसे पहले अंबेडकर की प्रतिमा पर माल्यार्पण करेंगे और फिर मंदिर जाएंगे।
इससे कांग्रेस यह दिखाना चाहती है कि वह संविधान और धर्म दोनों का सम्मान करती है। अंबेडकर जयंती के दिन यह कार्यक्रम देशभर में सबसे ज्यादा चर्चा का विषय रहने वाला है।
जनता की प्रतिक्रिया
अलवर के लोगों में इस यात्रा को लेकर उत्साह है। स्थानीय कांग्रेस कार्यकर्ता राहुल गांधी के स्वागत की तैयारियों में जुटे हुए हैं। मंदिर के आसपास सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई है।
एक स्थानीय निवासी राम सिंह कहते हैं, “हम राहुल गांधी का स्वागत करेंगे। उनका यहां आना बड़ी बात है। इससे हमारे इलाके को पहचान मिलेगी।”
दूसरी ओर, भाजपा समर्थकों में इस यात्रा को लेकर मिश्रित प्रतिक्रिया है। कुछ का कहना है कि यह सिर्फ राजनीतिक स्टंट है, जबकि दूसरे इसे अपनी गलती सुधारने का प्रयास मान रहे हैं।
टीकाराम जूली की भूमिका
राजस्थान के नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली इस पूरे मामले के केंद्र में रहे हैं। उन्होंने मंदिर में दर्शन किए थे, जिसके बाद विवाद शुरू हुआ था। अब वे राहुल गांधी के साथ फिर से उसी मंदिर में जाएंगे।
जूली ने इस मामले पर कहा था कि भाजपा की मानसिकता समाज के एक वर्ग को दूसरे से लड़ाने की है। उन्होंने कहा था कि इस मामले में सभी को संयम रखना होगा।
जब जी मीडिया ने जूली से बातचीत की थी, तब उन्होंने कहा था कि इस घटना से भाजपा की मानसिकता उजागर हो गई है। अब राहुल गांधी के साथ मंदिर जाकर वे एक मजबूत संदेश देंगे।
विवाद का आगे का रास्ता
यह विवाद अभी थमने का नाम नहीं ले रहा है। कांग्रेस इस मुद्दे को और तूल देने की कोशिश कर रही है, जबकि भाजपा इससे बचने की कोशिश कर रही है।
स्वदेश कपूर, जो इस मामले की निगरानी कर रहे हैं, कहते हैं, “राहुल गांधी का यह दौरा देशभर में चर्चा का विषय बनेगा। अंबेडकर जयंती के दिन यह सबसे ज्यादा चर्चित कार्यक्रम रहेगा।”
अब देखना यह है कि इस यात्रा का क्या राजनीतिक असर पड़ेगा। क्या भाजपा इस झटके से उबर पाएगी या फिर आने वाले चुनावों में इसका असर दिखाई देगा? यह सवाल अभी बना हुआ है।