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फिर जिंदा हुए हजारो साल पहले गायब हुए भेड़िये: विलुप्त Dire Wolf को वापस लाया 13,000 साल बाद! जानें कैसे हुआ ये चमत्कार

Dire Wolf: 10 अप्रैल 2025 को एक बड़ी वैज्ञानिक खबर सामने आई है। अमेरिकी वैज्ञानिकों ने एक ऐसा कारनामा कर दिखाया है, जिससे विज्ञान की दुनिया में हलचल मच गई है। उन्होंने लगभग 13,000 साल पहले धरती से विलुप्त हुए एक जीव को वापस पैदा कर दिया है। यह जीव है डायर वुल्फ, जिसे हिन्दी में ‘विशाल भेड़िया‘ कह सकते हैं। क्या अब विलुप्त होना अंतिम नहीं होगा? क्या विज्ञान कभी भी किसी भी जीव को वापस ला सकता है? आइए इस रोचक खोज को समझते हैं।

क्या वास्तव में वही भेड़िया वापस आया है?

नहीं, यह गलतफहमी है। पुराना भेड़िया जिंदा नहीं हुआ है। वैज्ञानिकों ने उसके DNA का इस्तेमाल करके नए भेड़ियों को जन्म दिया है। डायर वुल्फ, जिसका वैज्ञानिक नाम ‘कैनिस डायरस‘ है, धरती पर अब फिर से मौजूद है।

टाइम्स मैगज़ीन ने इस खबर को अपनी हेडलाइन बनाई है। अलग-अलग रिपोर्ट्स में इसके विलुप्त होने का समय 10,000 से 13,000 साल पहले बताया गया है। लेकिन अब यह वापस आ गया है।

कौन है इस चमत्कार के पीछे?

डलास की एक बायोटेक कंपनी ‘कॉलोसल बायो साइंसेज’ ने यह अद्भुत कारनामा किया है। उन्होंने जीन एडिटिंग और क्लोनिंग तकनीक का इस्तेमाल करके Dire Wolf को वापस लाया है। यह बायोलॉजी के क्षेत्र में एक बड़ा चमत्कार माना जा रहा है।

कंपनी ने तीन डायर वुल्फ के शावकों को जन्म दिया है। दो नर और एक मादा। दोनों नर शावकों का जन्म 1 अक्टूबर 2024 को हुआ था, जबकि मादा का जन्म इसके लगभग तीन महीने बाद हुआ।

शावकों के नाम और उनकी तस्वीरें

दो नर शावकों के नाम ‘रोमुलस’ और ‘रीमस’ रखे गए हैं। मादा का नाम ‘खलीसी’ है। यह नाम प्रसिद्ध टीवी सीरीज ‘गेम ऑफ थ्रोन्स’ के एक किरदार से लिया गया है। इन शावकों की तस्वीरें और वीडियो यूट्यूब पर शेयर किए गए हैं।

इन शावकों को कंपनी ने बड़ी गोपनीयता के साथ पाला था। जब वे सफलतापूर्वक बड़े होने लगे, तभी इनके बारे में दुनिया को बताया गया। अरबपति एलोन मस्क ने भी इस घटना को अपने सोशल मीडिया पर शेयर किया है।

Dire wolf
Dire wolf image by-edition.cnn.com

डायर वुल्फ की विशेषताएँ

Dire Wolf एक विशाल भेड़िया था। यह ठंडे इलाकों में पाया जाता था। उत्तरी अमेरिका, यूरोप और एशिया के उत्तरी हिस्सों में और दक्षिण में अंटार्कटिका की ओर इसका वास था।

इसका रंग सफेद होता था, जबकि आज के ग्रे वुल्फ (धूसर भेड़िया) का रंग भूरा होता है। डायर वुल्फ का शरीर बहुत ताकतवर होता था। इसकी हड्डियां मजबूत होती थीं। यह मांसाहारी था और झुंड में रहता था।

इसकी लंबाई 7 फीट तक होती थी। आज के ग्रे वुल्फ का वजन 30-50 किलोग्राम होता है, जबकि Dire Wolf इससे भी भारी होता था। इसके जबड़े और मांसपेशियां इतनी मजबूत होती थीं कि यह हड्डियों को आसानी से चबा सकता था।

विलुप्त होने का कारण

डायर वुल्फ बर्फीले युग में रहता था। जब धरती का तापमान बढ़ने लगा और बर्फीले इलाके कम होने लगे, तब यह धीरे-धीरे विलुप्त हो गया। इसकी जगह ग्रे वुल्फ ने ले ली, जो आज भी धरती पर मौजूद है।

वैज्ञानिकों ने कैसे किया यह चमत्कार?

वैज्ञानिकों ने 11,500 साल पुराने और 72,000 साल पुराने जीवाश्मों से DNA सैंपल इकट्ठा किया। इन सैंपल्स से उन्होंने Dire Wolf का जीनोम तैयार किया।

इसके बाद उन्होंने ‘क्रिसपर कैस 9’ नामक तकनीक का इस्तेमाल किया। वैज्ञानिकों ने जीवित ग्रे वुल्फ के रक्त कोशिकाओं को लिया। फिर जेनेटिक इंजीनियरिंग के जरिए उन कोशिकाओं में बदलाव किया गया।

इन बदली हुई कोशिकाओं को कुत्ते के अंडे में ट्रांसफर किया गया। अंडा विकसित होने के बाद, उसे एक घरेलू कुत्ते के गर्भ में रखा गया। इस कुत्ते ने सरोगेट माता की भूमिका निभाई।

वैज्ञानिकों ने जीनोटाइप और फीनोटाइप के अंतर को समझा। जीनोटाइप हमारे जीन का सेट होता है, जबकि फीनोटाइप वो विशेषताएँ हैं जो हम बाहर से देख सकते हैं। डायर वुल्फ और ग्रे वुल्फ के जीन में जो अंतर था, उसे समझकर वैज्ञानिकों ने डायर वुल्फ के जीन को फिर से बनाया।

इस प्रक्रिया में वैज्ञानिकों ने ‘नेक्स्ट जेनरेशन सिक्वेंसिंग’ और ‘पॉलिमरेज चेन रिएक्शन’ जैसी आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल किया।

इस खोज का महत्व

यह खोज विज्ञान की एक बड़ी उपलब्धि है। इससे विलुप्त हुए जीवों को वापस लाने की नई संभावनाएँ खुली हैं। क्या हम भविष्य में डायनासोर, डोडो, या मैमथ जैसे विलुप्त जीवों को भी वापस ला सकते हैं? यह सवाल अब और गंभीर हो गया है।

लेकिन इस खोज के साथ नैतिक सवाल भी उठते हैं। क्या हमें प्रकृति के साथ इस तरह छेड़छाड़ करनी चाहिए? क्या विलुप्त जीवों को वापस लाना सही है? प्रकृति ने जिसे समाप्त कर दिया, उसे वापस लाना कहाँ तक उचित है?

आगे की राह

फिलहाल रोमुलस, रीमस और खलीसी नामक ये तीन डायर वुल्फ शावक अच्छी तरह से बढ़ रहे हैं। वैज्ञानिक इनकी विशेषताओं का अध्ययन कर रहे हैं। यह खोज बायोलॉजी के क्षेत्र में नए अध्याय की शुरुआत है।

आने वाले समय में क्या जीव का विलुप्त होना कोई बड़ी खबर नहीं होगी? क्या विज्ञान किसी भी विलुप्त जीव को वापस ला सकता है? ये सवाल आज के वैज्ञानिकों के सामने हैं। डायर वुल्फ की वापसी ने इन सवालों पर गंभीर चर्चा शुरू कर दी है।

विज्ञान की इस अद्भुत यात्रा में डायर वुल्फ का पुनर्जन्म एक नया मील का पत्थर है। यह हमें बताता है कि विज्ञान की क्षमताएँ अब कहाँ तक पहुँच गई हैं। भविष्य में और भी अद्भुत खोजें हमारा इंतजार कर रही हैं।

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