मेरठ, 31 मार्च 2025 (सोमवार) – आज Eid के पवित्र त्योहार पर Meerut के शाही ईदगाह में एक दुखद घटना घटी। सुबह लगभग 8 बजे, जब हजारों लोग ईद की नमाज़ के लिए जमा थे, एक एंबुलेंस को रास्ता नहीं दिया गया। एंबुलेंस में एक गंभीर रूप से घायल मरीज था। इस कारण मरीज का समय पर इलाज नहीं हो पाया और उसकी स्थिति बिगड़ गई।
घटना का विवरण
मेरठ में ईदगाह पर बड़ा विवाद: एंबुलेंस में 35 वर्षीय अजय कुमार थे। वे एक सड़क दुर्घटना में घायल हुए थे। उन्हें तुरंत अस्पताल पहुँचाना बहुत जरूरी था। शाही ईदगाह के पास पहुंचने पर एंबुलेंस फंस गई। वहां ईद की नमाज़ के लिए बड़ी संख्या में लोग इकट्ठे थे।
एंबुलेंस चालक रामू ने बताया, “मैंने बार-बार सायरन बजाया। लोगों से रास्ता देने की विनती की। लेकिन किसी ने ध्यान नहीं दिया। कुछ लोगों ने तो मुझे धमकाया। उन्होंने सायरन बंद करने को कहा।”
रामू ने आगे बताया कि वे मरीज की गंभीर हालत के बारे में चिल्लाकर बता रहे थे। फिर भी कोई सहायता नहीं मिली। कुछ लोगों ने तो उनकी गाड़ी पर हाथ भी मारा।
पुलिस की कोशिश भी रही नाकाम
मौके पर तैनात पुलिसकर्मियों ने भीड़ को समझाने की कोशिश की। वे भीड़ से एंबुलेंस को रास्ता देने का अनुरोध करते रहे। लेकिन भीड़ ने उनकी बात नहीं मानी। कुछ लोगों ने “पहले नमाज़, फिर रास्ता” के नारे लगाने शुरू कर दिए।
जब हालात बिगड़ने लगे, तो रैपिड एक्शन फोर्स (RAF) को बुलाया गया। इस बीच करीब 15 मिनट का महत्वपूर्ण समय निकल चुका था। एंबुलेंस को वापस मुड़कर दूसरे रास्ते से जाना पड़ा। इसमें और समय लग गया।
मरीज की हालत हुई गंभीर
मरीज अजय कुमार को देरी से अस्पताल पहुंचाया गया। अस्पताल के डॉक्टर अरविंद शर्मा ने बताया, “मरीज की हालत पहले से ज्यादा गंभीर हो गई है। हमने उन्हें तुरंत ICU में भर्ती किया है। पहले 15-20 मिनट बहुत महत्वपूर्ण होते हैं। इस देरी से मरीज की स्थिति पर बुरा असर पड़ा है।”
अजय के परिवार ने इस घटना पर गहरा दुख जताया है। उनकी पत्नी सरिता ने कहा, “अगर एंबुलेंस को रास्ता मिल जाता, तो शायद मेरे पति की हालत इतनी गंभीर नहीं होती।”
प्रशासन ने लिया संज्ञान
इस घटना के बाद मेरठ के जिला मजिस्ट्रेट (DM) और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (SSP) ने घटनास्थल का दौरा किया। SSP विपिन ताडा ने कहा, “यह एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना है। हम इसकी पूरी जांच करेंगे। दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। कोई भी कानून से ऊपर नहीं है।”
जिला मजिस्ट्रेट ने भविष्य के लिए कई सुधारात्मक कदम उठाने की घोषणा की है। उन्होंने कहा, “आगे से सभी धार्मिक आयोजनों के दौरान इमरजेंसी कॉरिडोर बनाए जाएंगे। इससे एंबुलेंस और अन्य आपातकालीन वाहनों को आसानी से निकलने का रास्ता मिलेगा। हम सभी धर्मों के नेताओं से भी इस बारे में बात करेंगे।”
समाज के विभिन्न वर्गों की प्रतिक्रिया
इस घटना की सोशल मीडिया पर काफी आलोचना हो रही है। कई लोगों ने इसे मानवता के खिलाफ बताया है। Meerut के पूर्व मेयर हाजी मोहम्मद इकबाल ने कहा, “इस्लाम में मानव जीवन सबसे पवित्र है। किसी की जान बचाना सबसे बड़ी इबादत है। कुछ लोगों की गलती से पूरे समाज को बदनाम नहीं किया जाना चाहिए।”
स्थानीय धार्मिक नेता मौलाना अब्दुल कादिर ने भी इस घटना की निंदा की। उन्होंने कहा, “हमारा धर्म हमें सिखाता है कि मानवता सबसे बड़ा धर्म है। नमाज़ छोड़कर भी किसी की जान बचाना जरूरी है। यह घटना हमारे समाज के लिए शर्म की बात है।”
कई सामाजिक संगठनों ने भी इस घटना पर प्रतिक्रिया दी है। ‘Meerut नागरिक मंच’ के अध्यक्ष प्रमोद शर्मा ने कहा, “यह घटना दिखाती है कि हमें अभी भी जागरूकता फैलाने की जरूरत है। धार्मिक भावनाएं महत्वपूर्ण हैं, लेकिन मानव जीवन से बढ़कर कुछ नहीं है।”
आगे की कार्रवाई
प्रशासन ने सभी धार्मिक और सामाजिक संगठनों से अपील की है कि वे आपातकालीन सेवाओं का सम्मान करें। किसी भी धार्मिक कार्यक्रम के दौरान एंबुलेंस और अन्य आपातकालीन वाहनों को प्राथमिकता दें।
यह घटना Meerut के लिए एक सबक बन गई है। अब शहर के सभी बड़े आयोजनों में आपातकालीन प्रबंधन पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।