नई दिल्ली indus water treaty: भारत ने आखिरकार पाकिस्तान के खिलाफ ‘जल युद्ध’ (Water War) का ऐलान कर दिया है। 76 सालों तक शांति बनाए रखी थी, भारत ने पाकिस्तान का पानी रोक दिया ऐसा होने से पाकिस्तान बूंद बूंद के लिए तरसेगा, तो उसकी 75% आबादी तक पानी की सप्लाई बंद हो जाएगी। ऐसा होने पर पाकिस्तान का 90% कृषि उत्पादन और 25% जीडीपी धराशायी हो जाएगी। विशेषज्ञों का कहना है कि सिंधु नदी के बिना पाकिस्तान एक रेगिस्तान में तब्दील हो जाएगा।
भारत ने कहा है कि अब वह पंजाब, जम्मू-कश्मीर और वहीं अब भारत देश के सभी किसान अब इसका पूरा लाभ ले सकेंगे इसे किसानो को अच्छा फायदा पहुंचेगा। तो अब पाकिस्तान की 75% आबादी बूंद बूंद पानी के लिए तरसेगी। विशेषज्ञों का कहना है कि इंडस नदी के बिना पाकिस्तान सचमुच एक रेगिस्तान बन जाएगा। पाकिस्तान का 90% फूड प्रोडक्शन और 25% जीडीपी सीधे इसी नदी पर निर्भर है। यह निर्भरता कोई आज की बात नहीं है, बल्कि आजादी के बाद से चली आ रही है।
1948 के बाद से indus water को लेकर तनाव
1948 में भारत और पाकिस्तान के बीच पहला युद्ध हुआ। उसके बाद भारत ने पहली बार पाकिस्तान जाने वाले पानी को डैम्स के जरिये रोक लिया था। यह कदम कुछ देशभक्त इंजीनियरों ने उठाया था। हालाँकि बाद में भारत ने फिर से नहरें खोल दीं, लेकिन पाकिस्तान ने इस एक घटना को आधार बनाकर वर्ल्ड बैंक का दरवाजा खटखटाया। इसके बाद दुनिया के दबाव में 1960 में इंडस वाटर ट्रीटी साइन हुई।
सिंधु जल समझौता: भारत की उदारता का इतिहास
indus water ट्रीटी को दुनिया की सबसे सफल और उदार समझौतों में गिना जाता है। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति आईजनहावर ने इसे “डिप्रेसिंग वर्ल्ड का चमकता सितारा” कहा था। इस समझौते के तहत, भारत ने अपना अपर रिपेरियन नेशन (ऊपरी देश) होने का फायदा नहीं उठाया। बल्कि उल्टा, उसने तीन नदियाँ — इंडस, झेलम और चिनाब — पाकिस्तान को दे दीं। और अपने लिए बस व्यास, रावी और सतलज रखीं।
सुनने में भले यह आधा-आधा बँटवारा लगे, लेकिन असल में भारत को सिर्फ 20% पानी मिला, जबकि पाकिस्तान को 80% पानी दे दिया गया। यानी 168 मिलियन एकर फीट पानी में से भारत को सिर्फ 33 मिलियन एकर फीट मिला।
भारत की दरियादिली या बड़ी भूल?
जब ट्रीटी के लिए बातचीत चल रही थी, तब भारत ने खुद ही पाकिस्तान को 76% पानी देने की पेशकश की थी। दूसरी तरफ पाकिस्तान भारत को सिर्फ 13% पानी देना चाहता था। कई विशेषज्ञों का मानना है कि वर्ल्ड बैंक ने भी भारत के इस सौम्य व्यवहार को भांप लिया था और पाकिस्तान के पक्ष में निर्णय करवाया।
इसी वजह से आज इतिहासकार इस फैसले को “नेहरू जी की छठी बड़ी भूल” (Sixth Blunder of Nehru) भी कहते हैं। लोकसभा में भी नेहरू जी को जमकर विरोध झेलना पड़ा। खुद कांग्रेस के सांसदों ने कहा कि नेहरू जी ने पाकिस्तान को खुश करने के चक्कर में भारत के हितों की बलि दे दी।
पाकिस्तान की नीयत कभी नहीं बदली
indus water ट्रीटी साइन करने के बाद भी पाकिस्तान ने भारत के साथ तीन युद्ध किए — 1965, 1971 और 1999 (कारगिल युद्ध)। इसके अलावा पाकिस्तान लगातार आतंकवादी गतिविधियों के जरिये भारत को नुकसान पहुँचाता रहा है। लेकिन भारत ने फिर भी कभी ट्रीटी से पीछे हटने की कोशिश नहीं की।
इंडस वाटर ट्रीटी पर काम करने वाले अमेरिकी वकील डेविड लिलिएंथल ने एक बार कहा था कि “पाकिस्तान आर्मी बम और हथियारों से जितना नुकसान नहीं कर सकती, उतना नुकसान भारत पानी रोककर कर सकता है।” फिर भी भारत ने अब तक संयम दिखाया है।
पूरी दुनिया में अलग हालात
अगर पूरी दुनिया के ट्रांस नेशनल रिवर्स (ऐसी नदियाँ जो दो या दो से ज्यादा देशों में बहती हैं) देखें, तो भारत का व्यवहार सबसे उदार रहा है। उदाहरण के लिए, चीन से 18 नदियाँ निकलती हैं जो अलग-अलग देशों में जाती हैं। लेकिन चीन ने एक भी देश के साथ कोई वाटर शेयरिंग ट्रीटी नहीं की है। वह इन नदियों का नियंत्रण पूरी तरह अपने हाथ में रखता है।
भारत ने न केवल पाकिस्तान बल्कि बांग्लादेश के साथ भी गंगा जल संधि साइन की है। एशिया में ऐसा करने वाला भारत इकलौता देश है।
वर्ल्ड बैंक का पक्षपात
indus water treaty के समय भी वर्ल्ड बैंक का झुकाव पाकिस्तान की तरफ ज्यादा था। उस समय भी कुछ ऐसा ही दिखाया गया था, वर्ल्ड बैंक ने वर्ल्ड हंगर इंडेक्स जारी किया, जिसमें भारत को पाकिस्तान से भी ज्यादा भूखा देश दिखाया गया। भारत ने इस रिपोर्ट को सिरे से खारिज करते हुए वर्ल्ड बैंक को खुली चेतावनी दी कि वह इस तरह के मामलों में दखल न दे।
भारत ने अब रास्ता बदल लिया है
अब भारत ने अपनी उदारता कम कर दी है। सरकार ने इंडस बेसिन पर चार नए फास्ट ट्रैक इरिगेशन प्रोजेक्ट शुरू किए हैं। इससे जम्मू-कश्मीर के 2 लाख एकड़ अतिरिक्त खेतों में सिंचाई होगी।
किशनगंगा डैम जैसे प्रोजेक्ट्स, जिन पर पाकिस्तान ने आपत्ति जताई थी, अब पूरी तरह से काम कर रहे हैं। किशनगंगा प्रोजेक्ट से 12% बिजली कश्मीर जैसे एनर्जी डेफिशियंट इलाकों में सप्लाई हो रही है। इससे जम्मू-कश्मीर और उत्तर भारत के कई राज्यों को भी फायदा हो रहा है।

पाकिस्तान की मुश्किलें बढ़ेंगी
अब भारत ने पानी पर नियंत्रण सख्त कर लिया है, पाकिस्तान के लिए हालात बहुत खराब हो जाएगी। पाकिस्तान का अधिकतर एग्रीकल्चर इंडस बेसिन पर ही निर्भर है। अगर पानी कम हुआ, तो पाकिस्तान में फसलें उगाना मुश्किल हो जाएगा। इससे भुखमरी और गरीबी तेजी से बढ़ेगी।
विशेषज्ञों का कहना है कि अगर भारत पूरी तरह इंडस वाटर ट्रीटी से पीछे हटे या अपने हिस्से के पानी का पूरा इस्तेमाल करे, तो पाकिस्तान को जीवन और अर्थव्यवस्था दोनों के स्तर पर भारी संकट का सामना करना पड़ेगा।