अंतरिक्ष यात्री Sunita Williams और Butch Wilmore 9 महीने बाद धरती पर लौट आए हैं। ये दोनों अंतरिक्ष यात्री जून 2023 में इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) पर सिर्फ आठ दिन के मिशन पर गए थे, लेकिन तकनीकी खराबी के कारण उन्हें वहां नौ महीने तक रुकना पड़ा। आखिरकार, एलन मस्क की कंपनी SpaceX के ड्रैगन कैप्सूल से ये फ्लोरिडा के तट के पास समुद्र में सुरक्षित उतरे। उनके साथ दो और अंतरिक्ष यात्री निक हेग और रूसी कॉस्मोनॉट अलेक्जेंडर गोरबुनोव भी थे।
कैसे लौटी Sunita Williams? जानिए पूरी यात्रा की कहानी
सुनीता विलियम्स और उनके साथियों का ड्रैगन कैप्सूल भारतीय समयानुसार सुबह 3:27 बजे फ्लोरिडा के पास समुद्र में उतरा। इससे पहले, ISS से धरती तक की 17 घंटे की यात्रा में कई चुनौतियाँ आईं। जैसे ही कैप्सूल पृथ्वी के वातावरण में दाखिल हुआ, उसकी रफ्तार 17,000 मील प्रति घंटा थी। कुछ ही मिनटों में इसे धीमा करने के लिए कैप्सूल के पैराशूट खुले। इस दौरान कैप्सूल के बाहर का तापमान 1,927 डिग्री सेल्सियस तक पहुँच गया, लेकिन अंदर बैठे अंतरिक्ष यात्री सुरक्षित रहे।
यात्रा के अहम पल:

- कम्युनिकेशन ब्लैकआउट: वातावरण में प्रवेश करते समय कैप्सूल का संपर्क नियंत्रण केंद्र से टूट गया। करीब 3:20 बजे संपर्क फिर से जुड़ा।
- ऑटोनोमस लैंडिंग: कैप्सूल को स्वचालित मोड में छोड़ दिया गया। अंतरिक्ष यात्री स्क्रीन पर सब कुछ देखते रहे।
- पैराशूट खुलना: पहले दो पैराशूट खुलने पर कैप्सूल की रफ्तार कम हुई। फिर दो और पैराशूट खुलने से यह और धीमा हुआ।
समुद्र में उतरने के बाद क्या हुआ? डॉल्फ़िनों ने किया स्वागत!
कैप्सूल को समुद्र में गिरते ही आसपास डॉल्फ़िनों का झुंड तैरता हुआ देखा गया। रिकवरी टीम ने speed boat से पहुँचकर पैराशूट हटाया और कैप्सूल को सुरक्षित जहाज तक ले गये। कैप्सूल का दरवाजा खुलते ही Sunita Williams और उनके साथियों ने कैमरा की ओर हाथ हिलाकर खुशी जताई।
सुनीता का पहला रिएक्शन:
9 महीने बाद धरती की हवा में सांस लेते हुए सुनीता के चेहरे पर अलग ही मुस्कान थी। उन्होंने कहा, “यह लंबी यात्रा थी, लेकिन टीम के साथ और विज्ञान के लिए काम करना अद्भुत रहा।”
स्वास्थ्य पर क्या असर? NASA ने दी जानकारी
NASA के मुताबिक, सभी अंतरिक्ष यात्रियों की सेहत ठीक है। हालांकि, अंतरिक्ष में लंबे समय तक रहने से शरीर पर असर पड़ता है। सुनीता और बुच ने वहां रोजाना 4 घंटे एक्सरसाइज करके अपनी मांसपेशियों और हड्डियों को मजबूत रखा। NASA के मैनेजर स्टीव स्टिच ने बताया, “अब उन्हें धरती के गुरुत्वाकर्षण में ढलने में कुछ दिन लगेंगे। वे ह्यूस्टन जाकर मेडिकल जांच कराएंगे और फिर परिवार से मिलेंगे।”
अंतरिक्ष के प्रभाव:
- हड्डियाँ और मांसपेशियाँ का कमजोर होना
- आँखों में द्रव जमा होने से नज़र प्रभावित होना
- शरीर में रक्त प्रवाह बदलना
- अंतरिक्ष विकिरण (रेडिएशन) का जोखिम
ब्रिटिश अंतरिक्ष यात्री टिम पीक ने एक न्यूज़ बातचीत में बताया की, “धरती पर लौटने के बाद पहले कुछ दिन चक्कर आते हैं। शरीर को आराम मिलता है, लेकिन मांसपेशियों में दर्द हो सकता है।”
सुनीता ने अंतरिक्ष में क्या किया? 900 घंटे रिसर्च!
सुनीता विलियम्स ने ISS पर 286 दिन बिताए। इस दौरान उन्होंने:
- 150 वैज्ञानिको के साथ मिलकर प्रयोग किए, जो मंगल पर इंसानी मिशन में मदद करेंगे।
- 900 घंटे रिसर्च में लगाए, जिसमें पौधों की ग्रोथ, शरीर पर गुरुत्वाकर्षण के प्रभाव और नई टेक्नोलॉजी टेस्ट करना शामिल था।
- हर दिन 16 बार सूर्योदय और सूर्यास्त देखा, क्योंकि ISS हर 90 मिनट में पृथ्वी का चक्कर लगाता है।
NASA के जोएल मोंटालबानो ने कहा, “सुनीता और बुच का काम देश के लिए फायदेमंद रहेगा। यह प्रयोग भविष्य के मिशनों की नींव हैं।”
स्टारलाइनर में खराबी, फिर SpaceX ने बचाई जान
सुनीता और बुच को बोइंग कंपनी के स्टारलाइनर यान से वापस आना था, लेकिन उसमें तकनीकी दिक्कत आ गई। इसके इंजन और कूलिंग सिस्टम में समस्या के कारण उन्हें ISS पर ही रुकना पड़ा। आखिरकार, NASA ने स्पेसएक्स के ड्रैगन कैप्सूल को मदद के लिए भेजा। SpaceX ने पहले भी कई बार अंतरिक्ष यात्रियों को सुरक्षित लेके आया है।
सुनीता विलियम्स: अंतरिक्ष में रचे इतिहास
- सुनीता भारतीय मूल की दूसरी महिला हैं, जिन्होंने अंतरिक्ष में उड़ान भरी।
- उन्होंने कुल 322 दिन अंतरिक्ष में बिताए हैं, जो किसी भी महिला अंतरिक्ष यात्री का रिकॉर्ड है।
- 2007 में उन्होंने ISS पर मैराथन दौड़ी, जो अंतरिक्ष में पहली बार हुआ था।
सुनीता ने इस मिशन के बारे में कहा, “हर बार अंतरिक्ष से लौटकर मुझे धरती की खूबसूरती का एहसास होता है। यहाँ की हवा, पानी और प्रकृति को संभालकर रखना हम सभी की जिम्मेदारी है।”
क्या होगा अब?
सभी अंतरिक्ष यात्री ह्यूस्टन के NASA केंद्र में रहेंगे। वे वैज्ञानिकों को अपने अनुभव साझा करेंगे और फिर छुट्टी पर जाएंगे। सुनीता अगले कुछ महीनों में अपने परिवार के साथ समय बिताएंगी। NASA का लक्ष्य 2030 तक मंगल पर इंसान भेजना है, और सुनीता जैसे यात्रियों के प्रयोग इस मिशन को सफल बनाने में मदद करेंगे।
निष्कर्ष: Sunita Williams की वापसी न सिर्फ विज्ञान, बल्कि दृढ़ इच्छाशक्ति की जीत है। उनका सफर युवाओं के लिए प्रेरणा है कि चुनौतियाँ चाहे कितनी भी बड़ी हों, सही टीम और मेहनत से उन्हें पार किया जा सकता है।