Bihar Cabinet Expansion: पटना। बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली NDA सरकार में मंत्रिमंडल का विस्तार आज शाम 4 बजे होगा। भारतीय जनता पार्टी (BJP) के 7 विधायकों को मंत्री पद की शपथ दिलाई जाएगी। इस विस्तार में जातीय समीकरणों के साथ-साथ क्षेत्रीय संतुलन का खास ध्यान रखा गया है। शपथ लेने वाले 7 मंत्रियों में 3 पिछड़ा वर्ग, 2 अति पिछड़ा वर्ग और 2 सवर्ण समुदाय के नेताओं को जगह मिली है। साथ ही, मिथिला क्षेत्र से दो नेताओं के मंत्री बनने से चुनावी रणनीति भी साफ झलक रही है।
कौन बनेंगे नए मंत्री?
भाजपा की ओर से जिन 7 विधायकों को मंत्री पद मिला है, उनमें कृष्ण कुमार मंतु (कुर्मी), विजय मंडल (केवट), राजू सिंह (राजपूत), संजय सराफ (मारवाड़ी), जीवेश मिश्र (भूमिहार), सुनील कुमार (कुशवाहा) और मोतीलाल प्रसाद (तेली) शामिल हैं। इन सभी नेताओं का चयन उनके समुदाय और क्षेत्रीय प्रभाव को देखते हुए किया गया है।
मिथिला पर फोकस, 50 सीटों पर निगाह
भाजपा ने मिथिला क्षेत्र से दो नेताओं को मंत्रिमंडल में शामिल करके चुनावी इरादे स्पष्ट कर दिए हैं। इस क्षेत्र की लगभग 50 विधानसभा सीटों पर पार्टी अपनी पकड़ मजबूत करना चाहती है। संजय सराफ दरभंगा से और मोतीलाल प्रसाद रीगा (सीतामढ़ी) के विधायक हैं। इसके अलावा, कृष्ण कुमार मंतु छपरा के अमनौर, विजय मंडल अररिया के सिक्टी, राजू सिंह साहेबगंज, जीवेश मिश्र जले (दरभंगा) और सुनील कुमार बिहारशरीफ से चुने गए हैं।
दिलीप जायसवाल ने दिया इस्तीफा, एक व्यक्ति-एक पद के सिद्धांत पर कदम
मंत्रिमंडल विस्तार से पहले बिहार सरकार में राजस्व और भूमि सुधार विभाग के मंत्री दिलीप जायसवाल ने इस्तीफा दे दिया है। BJP के ‘एक व्यक्ति-एक पद’ के नियम के तहत उन्होंने मंत्री पद छोड़ने का फैसला किया। जायसवाल अब केवल बिहार भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष का पद संभालेंगे। गौर करने की बात है कि 4 मार्च को भाजपा की राज्य परिषद की बैठक होनी है, जहाँ जायसवाल के अध्यक्ष पद को औपचारिक मंजूरी मिलेगी।
बजट सत्र से पहले नए मंत्रियों की बड़ी जिम्मेदारी
बिहार विधानसभा का बजट सत्र 28 फरवरी से शुरू होने वाला है। ऐसे में आज शपथ लेने वाले 7 नए मंत्रियों के लिए यह सत्र अहम होगा। चूंकि इसी साल बिहार में विधानसभा चुनाव होने हैं, इसलिए सरकारी योजनाओं को समय पर पूरा करने और विधानसभा में पार्टी की रणनीति को मजबूती से रखने की चुनौती इन मंत्रियों के सामने होगी।
राजभवन में जारी हैं तैयारियाँ, मंत्रियों का आना शुरू
शपथ ग्रहण समारोह की तैयारियाँ राजभवन में पूरी हो चुकी हैं। समारोह में शामिल होने के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, भाजपा के वरिष्ठ नेता और NDA के नेता पहुँचने लगे हैं। मौजूदा मंत्री मंगल पांडे, नीरज कुमार बबलू समेत कई नेता राजभवन पहुँच चुके हैं। वहीं, नए मंत्रियों में जीवेश मिश्र, सुनील कुमार और मोतीलाल प्रसाद भी राजभवन पहुँच गए हैं।

चुनावी दृष्टि से क्यों अहम है यह कैबिनेट विस्तार?
इस बार का मंत्रिमंडल विस्तार विधानसभा चुनावों को ध्यान में रखकर किया गया है। भाजपा ने जिन नेताओं को चुना है, वे सभी अपने-अपने क्षेत्रों में प्रभावी माने जाते हैं। मसलन, मिथिला के दो मंत्री बनाने से पार्टी इस इलाके में जदयू और अन्य दलों के प्रभाव को कम करने की कोशिश करेगी। इसी तरह, कुशवाहा और तेली समुदाय के नेताओं को शामिल करके भाजपा ने अति पिछड़े वर्ग तक अपनी पहुँच बढ़ाने का संकेत दिया है।
नीतीश कुमार की रणनीति: सबको साथ लेकर चलना
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार हमेशा से जातीय और क्षेत्रीय संतुलन को प्राथमिकता देते आए हैं। इस बार भी उन्होंने BJP के साथ मिलकर ऐसे नेताओं को चुना है जो समाज के विभिन्न वर्गों का प्रतिनिधित्व करते हैं। कुर्मी, केवट, राजपूत, भूमिहार, मारवाड़ी और तेली समुदायों को मंत्रिमंडल में जगह मिलने से NDA गठबंधन की ‘सबका साथ-सबका विकास’ की नीति को बल मिला है।
विपक्ष की प्रतिक्रिया
विपक्षी दलों ने इस कैबिनेट विस्तार को ‘चुनावी चाल’ बताया है। राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के प्रवक्ता ने कहा कि “भाजपा और जदयू सिर्फ सत्ता बचाने के लिए जाति के नाम पर राजनीति कर रहे हैं। जनता इनके मंसूबों को समझ चुकी है।” वहीं, कांग्रेस ने कहा कि “मंत्रिमंडल में महिलाओं और युवाओं को नजरअंदाज करना सरकार की संकीर्ण सोच को दिखाता है।”
आगे क्या होगा इसपे नजर होगी
बजट सत्र के बाद राजनीतिक गतिविधियाँ और तेज़ होंगी। नए मंत्रियों को अपने विभागों की योजनाओं को लागू करने के साथ-साथ जनता के बीच सरकार का पक्ष रखना होगा। साथ ही, भाजपा और जदयू के बीच सीटों के बँटवारे को लेकर चर्चा जल्द शुरू होगी। ऐसे में यह कैबिनेट विस्तार एनडीए के लिए चुनावी मैदान में मजबूत प्लेटफॉर्म तैयार करने की दिशा में एक कदम माना जा रहा है।
बिहार की राजनीति में यह मंत्रिमंडल विस्तार नीतीश कुमार और भाजपा की साझा रणनीति का हिस्सा है। जाति और क्षेत्र के आधार पर चयनित नेताओं के जरिए एनडीए गठबंधन 2025 के विधानसभा चुनावों में मजबूत दावेदारी पेश करना चाहता है। अब देखना यह है कि क्या यह कदम सरकार को जनता का विश्वास दिला पाएगा या फिर विपक्ष के लिए नए मुद्दे पैदा करेगा।