Waqf Amendment Bill hindi: बुधवार, 3 अप्रैल 2025 को संसद में वक्फ संशोधन विधेयक पर चर्चा हुई। इस विधेयक में कई महत्वपूर्ण बदलाव किए गए हैं। सबसे बड़ा बदलाव धारा 40 को हटाना है। इसके अलावा, तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) के तीन संशोधनों को भी स्वीकार किया गया है।
वक्फ संशोधन विधेयक क्या है?
Waqf Amendment Bill का उद्देश्य वक्फ अधिनियम, 1995 में संशोधन करना है। यह विधेयक वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन और नियंत्रण में सुधार के लिए लाया गया है। इसका लक्ष्य वक्फ संपत्तियों के प्रशासन में पारदर्शिता और जवाबदेही लाना है।
इस विधेयक का पूरा नाम ‘एकीकृत वक्फ प्रबंधन, सशक्तिकरण, दक्षता और विकास अधिनियम’ है। यह नाम इसके व्यापक उद्देश्य को दर्शाता है। यह न केवल प्रबंधन में सुधार, बल्कि सशक्तिकरण और विकास पर भी जोर देता है।
वक्फ संपत्ति अधिनियम क्या है?
वक्फ अधिनियम, 1995 एक कानून है जो वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन का नियमन करता है। वक्फ मुस्लिम समुदाय द्वारा धार्मिक या दानशील उद्देश्यों के लिए दान की गई संपत्ति है। इस अधिनियम के तहत, केंद्रीय वक्फ परिषद और राज्य वक्फ बोर्ड का गठन किया गया है।
अधिनियम के अनुसार, एक बार कोई संपत्ति वक्फ घोषित होने के बाद, उसे बेचा या हस्तांतरित नहीं किया जा सकता। भारत में वक्फ बोर्ड लगभग 8.72 लाख संपत्तियों का नियंत्रण करते हैं। इनका कुल क्षेत्रफल 9.4 लाख एकड़ से अधिक है।
वक्फ बोर्ड संशोधन अधिनियम क्या है?
वक्फ बोर्ड संशोधन अधिनियम वह कानून है जो वक्फ बोर्ड की संरचना और कार्यों में बदलाव करता है। नया संशोधन विधेयक केंद्रीय वक्फ परिषद और राज्य वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिम सदस्यों को शामिल करने का प्रावधान करता है।
वर्तमान कानून के अनुसार, वक्फ बोर्ड के सभी सदस्य मुस्लिम होने चाहिए। लेकिन नए विधेयक में कम से कम दो गैर-मुस्लिम सदस्यों को शामिल करना अनिवार्य है। इसके अलावा, बोर्ड में शिया, सुन्नी और पिछड़े वर्ग के मुस्लिमों का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित किया गया है।
Waqf Amendment Bill 2013 क्या था?
2013 में वक्फ अधिनियम, 1995 में संशोधन किया गया था। इसका उद्देश्य वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन को अधिक कुशल और पारदर्शी बनाना था। इस संशोधन में वक्फ बोर्ड के कार्यों और शक्तियों में कुछ बदलाव किए गए थे।
लेकिन, अधिनियम के कार्यान्वयन के दौरान, यह महसूस किया गया कि यह वक्फ प्रशासन में सुधार के लिए प्रभावी नहीं रहा। इसलिए, अब 2024 में नया संशोधन विधेयक लाया गया है।
धारा 40 का हटाना – विधेयक का सबसे महत्वपूर्ण बिंदु
वक्फ संशोधन विधेयक का सबसे महत्वपूर्ण बिंदु धारा 40 का हटाना है। इस धारा के तहत, वक्फ बोर्ड को यह अधिकार था कि वह किसी भी संपत्ति को वक्फ संपत्ति घोषित कर सकता था।
इस धारा का व्यापक दुरुपयोग हुआ था। इसके तहत, बिना किसी उचित प्रमाण के कई संपत्तियों को वक्फ संपत्ति घोषित किया गया था। इससे समुदायों के बीच असंतोष और अनाप-शनाप मुकदमे बढ़े थे।
अब, नए विधेयक के तहत, एक संपत्ति को वक्फ घोषित करने के लिए, वक्फकर्ता को कम से कम पांच साल से इस्लाम का अनुयायी होना चाहिए। साथ ही, उसे उस संपत्ति का मालिक भी होना चाहिए। यह प्रावधान संपत्ति के अधिकारों की रक्षा करेगा।

पूरे गांव को वक्फ भूमि घोषित करने के मामले
पिछले कई वर्षों में, वक्फ बोर्ड द्वारा कई ऐसे मामले सामने आए हैं जिनमें पूरे गांव को वक्फ भूमि घोषित किया गया। इन मामलों ने स्थानीय निवासियों के बीच भय और चिंता पैदा की थी।
तमिलनाडु के थिरुचेंथुराई गांव का मामला इसका एक उदाहरण है। यहां एक किसान राजगोपाल अपनी कृषि भूमि को बेचकर ऋण चुकाना चाहते थे। लेकिन वक्फ बोर्ड ने पूरे गांव को अपनी संपत्ति बताया। इससे राजगोपाल को आर्थिक और मानसिक परेशानी का सामना करना पड़ा।
एक अन्य उदाहरण बेंगलुरु का ईदगाह मैदान है। सरकारी रिकॉर्ड के अनुसार, यह संपत्ति किसी मुस्लिम संगठन के नाम नहीं थी। लेकिन वक्फ का दावा था कि 1850 के दशक से यह वक्फ संपत्ति रही है।
सूरत नगर निगम का मामला भी चर्चा का विषय रहा है। गुजरात वक्फ बोर्ड ने दावा किया था कि मुगल काल में यह इमारत एक सराय थी जो हज यात्रा के समय उपयोग में आती थी। हालांकि, भारत की स्वतंत्रता के बाद यह संपत्ति भारत सरकार को हस्तांतरित हो गई थी।
TDP के तीन संशोधन स्वीकार किए गए
Waqf Amendment Bill में तेलुगु देशम पार्टी (TDP) के तीन महत्वपूर्ण संशोधनों को अपनाया गया है। ये संशोधन विधेयक को और अधिक संतुलित बनाने में मदद करेंगे।
1. वक्फ बाय यूजर – पूर्वव्यापी नहीं
पहला संशोधन ‘वक्फ बाय यूजर’ से संबंधित है। यह एक ऐसा प्रावधान था जिसके तहत, अगर कोई संपत्ति लंबे समय से धार्मिक या दानशील उद्देश्यों के लिए उपयोग की जाती रही है, तो उसे औपचारिक दस्तावेजों के बिना भी वक्फ माना जा सकता था।
नए विधेयक में इस प्रावधान को हटा दिया गया है। TDP के संशोधन के बाद, यह तय किया गया है कि यह प्रावधान पूर्वव्यापी प्रभाव से लागू नहीं होगा। इसका मतलब है कि पहले से वक्फ घोषित संपत्तियां वक्फ बनी रहेंगी।
2. कलेक्टर अंतिम प्राधिकारी नहीं
दूसरा संशोधन विवादित संपत्तियों के निर्णय से संबंधित है। मूल विधेयक में प्रस्ताव था कि जिला कलेक्टर यह निर्णय लेंगे कि कोई संपत्ति वक्फ है या सरकारी है।
TDP के संशोधन के बाद, अब राज्य सरकार का वरिष्ठ अधिकारी इस मामले में अंतिम फैसला लेगा। वर्तमान कानून में ये निर्णय वक्फ ट्रिब्यूनल द्वारा लिए जाते हैं। विपक्ष और मुस्लिम संगठनों का तर्क है कि सरकारी अधिकारी कभी भी विवादित मामलों में सरकार के खिलाफ फैसला नहीं देंगे।
3. दस्तावेज जमा करने की समय सीमा बढ़ाई गई
तीसरा संशोधन वक्फ संपत्तियों के पंजीकरण से संबंधित है। विधेयक के अनुसार, हर वक्फ संपत्ति को कानून लागू होने के छह महीने के भीतर केंद्रीय पोर्टल पर पंजीकृत किया जाना अनिवार्य है।
TDP के संशोधन के बाद, यह तय किया गया है कि वक्फ ट्रिब्यूनल कुछ विशेष मामलों में इस समय सीमा को बढ़ा सकता है। यह छूट उन लोगों के लिए राहत देगी जो छह महीने के भीतर अपने दस्तावेज जमा नहीं कर पाते हैं।
विधेयक के अन्य महत्वपूर्ण प्रावधान
Waqf Amendment Bill में कई अन्य महत्वपूर्ण प्रावधान भी हैं जो वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में बदलाव लाएंगे।
वक्फ ट्रिब्यूनल की संरचना में बदलाव
विधेयक के अनुसार, वक्फ ट्रिब्यूनल में एक जिला न्यायाधीश और राज्य सरकार का एक अधिकारी होंगे। यह अधिकारी संयुक्त सचिव के रैंक का होगा।
वर्तमान कानून के तहत, ट्रिब्यूनल के अध्यक्ष कक्षा-1, जिला, सत्र, या सिविल जज के रैंक के न्यायाधीश होते हैं। अन्य सदस्यों में एक राज्य अधिकारी और मुस्लिम कानून और न्यायशास्त्र का जानकार व्यक्ति शामिल होता है।
नए विधेयक में मुस्लिम कानून के जानकार को ट्रिब्यूनल से हटा दिया गया है।
ट्रिब्यूनल के आदेशों पर अपील
वर्तमान कानून के अनुसार, ट्रिब्यूनल के निर्णय अंतिम हैं और इनके खिलाफ अदालतों में अपील नहीं की जा सकती। हालांकि, उच्च न्यायालय अपने आप, बोर्ड के आवेदन पर, या पीड़ित पक्ष के आवेदन पर मामले पर विचार कर सकता है।
नए विधेयक में ट्रिब्यूनल के निर्णयों की अंतिमता से संबंधित प्रावधानों को हटा दिया गया है। अब ट्रिब्यूनल के आदेशों के खिलाफ 90 दिनों के भीतर उच्च न्यायालय में अपील की जा सकती है।
केंद्र सरकार की शक्तियां
विधेयक केंद्र सरकार को पंजीकरण, वक्फ के खातों के प्रकाशन, और वक्फ बोर्ड की कार्यवाही के प्रकाशन के संबंध में नियम बनाने का अधिकार देता है।
वर्तमान कानून के तहत, राज्य सरकार किसी भी समय वक्फ के खातों का ऑडिट करा सकती है। नए विधेयक में केंद्र सरकार को CAG या एक नामित अधिकारी द्वारा इनका ऑडिट कराने का अधिकार दिया गया है।
बोहरा और अगाखानी के लिए अलग वक्फ बोर्ड
वर्तमान कानून राज्य में सुन्नी और शिया संप्रदायों के लिए अलग वक्फ बोर्ड की स्थापना की अनुमति देता है। यह तब होता है जब शिया वक्फ राज्य की सभी वक्फ संपत्तियों या वक्फ आय का 15% से अधिक हिस्सा रखते हैं।
नए विधेयक में अगाखानी और बोहरा संप्रदायों के लिए भी अलग वक्फ बोर्ड की अनुमति दी गई है।
Waqf Amendment Bill पर विवाद
वक्फ संशोधन विधेयक पर राजनीतिक दलों के बीच मतभेद हैं। भाजपा और उसके कई सहयोगी इस विधेयक के पक्ष में हैं, जबकि विपक्ष ने इसके खिलाफ लड़ने का संकल्प लिया है।
हालांकि, जद(यू) प्रमुख नीतीश कुमार ने भाजपा नेतृत्व के समक्ष कुछ संशोधनों पर अपनी चिंता व्यक्त की है, पार्टी संभवतः विधेयक के पक्ष में मतदान करेगी। लोकसभा में एनडीए के पास 543 सदस्यों में से 293 सांसदों का बहुमत है, जिसमें जद(यू) के 12 सांसद शामिल हैं।
राज्यसभा में भी, विधेयक को कोई बाधा नहीं आने की उम्मीद है। एनडीए के पास 125 सांसदों का समर्थन है – जो बहुमत के 118 अंक से सात अधिक है।
विपक्ष के आरोप
विपक्ष का आरोप है कि यह विधेयक असंवैधानिक है और मुस्लिम समुदाय के हितों के खिलाफ है। विपक्ष की आवाज का नेतृत्व करते हुए, AIMIM सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने दावा किया है कि इस विधेयक का उद्देश्य मुस्लिमों की धार्मिक स्वतंत्रता को सीमित करना है।
इसे “वक्फ बरबाद बिल” कहते हुए, ओवैसी ने कहा, “यह विधेयक असंवैधानिक है। अगर कोई गैर-हिंदू हिंदू एंडोमेंट बोर्ड का सदस्य नहीं बन सकता, तो आप यहां एक गैर-मुस्लिम को क्यों बना रहे हैं?”
सरकार का पक्ष
दूसरी ओर, केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने विपक्ष पर “मासूम मुसलमानों को भ्रमित करने” का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि विपक्ष झूठे दावे कर रहा है कि सरकार उनके कब्रिस्तान और मस्जिदों को “छीन लेगी”।
रिजिजू ने कहा, “कुछ लोग कह रहे हैं कि विधेयक असंवैधानिक है। वक्फ नियम, इसके प्रावधान स्वतंत्रता से पहले से अस्तित्व में हैं… तो यह अवैध कैसे हो सकता है।”