नई दिल्ली: पैन कार्ड के बाद अब मतदाता पहचान पत्र (Voter ID) को भी आधार से जोड़ने का फैसला हो गया है। मंगलवार को दिल्ली में केंद्रीय गृह मंत्रालय, कानून मंत्रालय, भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (UIDAI) और चुनाव आयोग के अधिकारियों के साथ हुई एक महत्वपूर्ण बैठक में यह निर्णय लिया गया। इसके तहत मतदाता पहचान पत्र को आधार से लिंक करने के लिए संविधान के अनुच्छेद 326 और जनप्रतिनिधित्व कानून की धाराओं का हवाला दिया गया है।
क्या हुआ बैठक में?
चुनाव आयोग ने मंगलवार को निर्वाचन सदन में एक उच्चस्तरीय बैठक की। इसमें मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार, चुनाव आयुक्त डॉ. सुखबीर सिंह संधू और डॉ. विवेक जोशी के अलावा केंद्रीय गृह सचिव, विधायी विभाग के सचिव, आईटी मंत्रालय के सचिव और UIDAI के CEO ने हिस्सा लिया। बैठक में तकनीकी विशेषज्ञों ने इस प्रक्रिया को आसान बनाने के तरीकों पर चर्चा की।
चुनाव आयोग ने एक बयान जारी कर कहा कि “मतदाता पहचान पत्र (EPIC) को आधार से जोड़ने का काम संविधान के अनुच्छेद 326 और जनप्रतिनिधित्व कानून, 1950 की धारा 23(4), 23(5) और 23(6) के तहत किया जाएगा। साथ ही, सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले (WP Civil No. 177/2023) का भी पालन किया जाएगा।”

क्यों जरूरी है यह कदम?
भारत के संविधान के अनुच्छेद 326 के मुताबिक, मतदान का अधिकार सिर्फ भारतीय नागरिकों को ही मिलता है। लेकिन पिछले कुछ सालों में मतदाता सूचियों में फर्जी नामों की शिकायतें आती रही हैं। आधार कार्ड किसी व्यक्ति की पहचान और नागरिकता साबित करने का सबसे भरोसेमंद दस्तावेज माना जाता है। ऐसे में, अगर Voter ID को आधार से जोड़ दिया जाए, तो नकली मतदाताओं की पहचान करना आसान हो जाएगा।
चुनाव आयोग का कहना है कि इससे मतदाता सूचियों में गलतियाँ दूर होंगी और चुनाव प्रक्रिया पारदर्शी बनेगी। साथ ही, एक व्यक्ति के कई जगह वोट डालने की संभावना भी खत्म होगी। पिछले महीने ही चुनाव आयोग ने कहा था कि वह अगले तीन महीनों में डुप्लीकेट नंबर वाले वोटर आईडी को बदलकर नए नंबर जारी करेगा। हालाँकि, उसने साफ किया था कि डुप्लीकेट नंबर का मतलब फर्जी मतदाता नहीं होता।
क्या होगा फायदा?
1. नकली मतदाताओं पर रोक: आधार से लिंक होने के बाद वोटर लिस्ट में गैर-जरूरी या फर्जी नाम हटाने में मदद मिलेगी।
2 . डुप्लीकेट वोटिंग रुकेगी: एक व्यक्ति अलग-अलग जगहों पर वोट नहीं डाल पाएगा, क्योंकि आधार नंबर यूनिक है।
3. सही मतदाता आँकड़े: मतदाता सूचियों में सुधार से चुनावी प्रक्रिया और भरोसेमंद बनेगी।
कैसे होगा लिंक?
चुनाव आयोग और UIDAI के तकनीकी विशेषज्ञ जल्द ही इस प्रक्रिया को अंजाम देने के तरीकों पर काम शुरू करेंगे। संभावना है कि पैन-आधार लिंक की तरह ही एक ऑनलाइन पोर्टल बनाया जाएगा, जहाँ मतदाता अपना वोटर आईडी नंबर और आधार नंबर डालकर दोनों को जोड़ सकेंगे। इसके अलावा, ऑफलाइन तरीकों जैसे email, SMS या चुनाव कार्यालय में आवेदन करके भी लिंक करवाने की सुविधा मिल सकती है।
क्या कहता है कानून?
जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा 23(4) से 23(6) चुनाव आयोग को मतदाता सूचियों को अपडेट करने और उनमें सुधार का अधिकार देती है। सुप्रीम कोर्ट ने भी पहले कहा है कि आधार को अन्य दस्तावेजों से जोड़ते समय नागरिकों की निजता का ध्यान रखा जाए। चुनाव आयोग ने जोर देकर कहा है कि यह प्रक्रिया पूरी तरह से कानूनी फ्रेमवर्क के अंदर ही होगी।
पैन-आधार लिंक का अनुभव
इससे पहले सरकार ने पैन कार्ड को आधार से जोड़ने का फैसला किया था। इसका मकसद भी टैक्स चोरी और फर्जीवाड़े रोकना था। हालाँकि, शुरुआत में लोगों को तकनीकी दिक्कतों का सामना करना पड़ा, लेकिन बाद में यह प्रक्रिया आसान हो गई। चुनाव आयोग उम्मीद करता है कि Voter ID-आधार लिंकिंग में भी ऐसी ही सुविधा और सुरक्षा का ध्यान रखा जाएगा।
अगला कदम
चुनाव आयोग ने कहा है कि वह जल्द ही इस संबंध में दिशा-निर्देश जारी करेगा। मतदाताओं से अपील की गई है कि वे अपने Voter ID और आधार कार्ड की जानकारी अपडेट रखें। अगर किसी का नाम वोटर लिस्ट से गलती से हट गया है या कोई त्रुटि है, तो वे चुनाव आयोग की वेबसाइट पर शिकायत दर्ज करा सकते हैं।
निष्कर्ष: Voter ID और आधार को जोड़ने का यह कदम देश में चुनावी सुधार की दिशा में एक बड़ा कदम है। इससे न सिर्फ मतदान प्रक्रिया पारदर्शी होगी, बल्कि लोकतंत्र में आम लोगों का भरोसा भी बढ़ेगा। हालाँकि, सरकार को यह सुनिश्चित करना होगा कि यह प्रक्रिया आसान और सुरक्षित हो, ताकि किसी भी मतदाता को परेशानी न हो।