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Rajasthan Kidnapping Cases: राजस्थान में 7000 से ज़्यादा बच्चे लापता! राजस्थान की ताज़ा बड़ी ख़बरें

Rajasthan Kidnapping Cases: 21 अगस्त, 2025 – राजस्थान, जो क्षेत्रफल की दृष्टि से भारत का सबसे बड़ा राज्य है, आज एक बहुत ही गंभीर समस्या से जूझ रहा है। राज्य से हर दिन औसतन 25 बच्चे लापता हो रहे हैं। ये बच्चे कहां जा रहे हैं? क्या उनका अपहरण हो रहा है, तस्करी हो रही है या कुछ और? यह सवाल हर किसी को परेशान कर रहा है। हाल ही में, जयपुर में एक ही परिवार के छह बच्चों के लापता होने की खबर ने इस मुद्दे को और भी गंभीर बना दिया है।

लापता बच्चों की संख्या चौंकाने वाली

राज्य सरकार द्वारा budget session में दिए गए आंकड़ों के अनुसार, 2024 में 7,339 बच्चे missing हुए। इनमें से 6,196 लड़कियां थीं, जो total लापता बच्चों का लगभग 84% है। इन लापता बच्चों में से 451 लड़कियों का आज तक कोई पता नहीं चल पाया है। ये आंकड़े न केवल चौंकाने वाले हैं, बल्कि यह भी बताते हैं कि स्थिति कितनी भयावह है। विशेषज्ञों का मानना है कि इन बच्चों की तस्करी हो सकती है, उन्हें मानव तस्करी या जबरन बाल श्रम में धकेला जा सकता है।

Rajasthan Kidnapping Cases
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पुलिस और प्रशासन की भूमिका पर सवाल

पुलिस अक्सर गुमशुदगी की शिकायतों को गंभीरता से नहीं लेती। कई मामलों में पुलिस परिवार वालों को यह कहकर लौटा देती है कि “बच्चा खुद ही वापस आ जाएगा।” पुलिस का यह रवैया अपराधियों के लिए एक आसान रास्ता बना रहा है। भरतपुर का एक मामला इसका उदाहरण है, जहाँ 1,052 अपहरण के मामले दर्ज किए गए, जिनमें से 695 को पुलिस ने “फर्जी” बताकर जाँच बंद कर दी। इस तरह की लापरवाही से अपराधी बेखौफ होकर अपना काम करते हैं। जब तक पुलिस जाँच शुरू करती है, तब तक अपराधी बच्चों को राज्य से बाहर ले जा चुके होते हैं।

Rajasthan Kidnapping Cases
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हाल के कुछ चौंकाने वाले मामले

Rajasthan Kidnapping Cases: इस बड़े आंकड़े के पीछे कई दर्दनाक घटनाएं छिपी हैं:

  • जयपुर में एक ही परिवार के तीन बच्चे: कुछ दिन पहले जयपुर से मोहित, नितिन और अरमान नाम के तीन भाई बहन लापता हुए। वे स्कूल जा रहे थे। बाद में पता चला कि उसी परिवार के तीन और बच्चे पहले से ही लापता हैं। कुल मिलाकर एक परिवार के छह बच्चे गायब हैं। कहा जा रहा है कि बच्चों ने एक नोट लिखा था कि उन्हें ढूंढने की कोशिश न की जाए। वे पांच साल बाद खुद लौट आएंगे। यह पूरा मामला रहस्यमय बना हुआ है।
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  • नवजात शिशु की चोरी: नाथद्वारा के एक अस्पताल से एक नवजात बच्चे को एक महिला ने उठा लिया। वह नर्स की वेशभूषा में अस्पताल में घुसी थी। पता चला कि महिला के अपने बच्चे नहीं थे। इसलिए उसने दूसरे का बच्चा चुरा लिया।
  • उदयपुर में 13 महीने की बच्ची का अपहरण: उदयपुर के एक अस्पताल से 13 महीने की एक बच्ची का अपहरण कर लिया गया। पूरी घटना सीसीटीवी कैमरे में कैद हुई। सौभाग्य से पुलिस ने महिला को पकड़ लिया और बच्ची को बचा लिया।
  • अजमेर में 7 महीने के बच्चे का अपहरण: अजमेर में सिर्फ 7 महीने के एक बच्चे का अपहरण हुआ। पुलिस अभी भी जांच कर रही है।
  • पानी की टंकी में बच्चों के शव: अक्टूबर 2023 में दो बच्चों के शव एक पानी की टंकी में मिले। ये बच्चे कुछ दिन पहले ही लापता हुए थे।

Rajasthan Kidnapping Cases: क्यों हो रही है बच्चों की तस्करी?

बच्चों के लापता होने के पीछे कई कारण हो सकते हैं, जिनमें मुख्य रूप से मानव तस्करी, अवैध गोद लेना, और बाल श्रम शामिल हैं।

  • मानव तस्करी: भीख मंगवाने, देह व्यापार और अंगों की तस्करी के लिए बच्चों का अपहरण किया जाता है।
  • अवैध गोद लेना: निसंतान परिवार, जो कानूनी प्रक्रिया से बच्चा गोद नहीं ले पाते, वे अवैध तरीकों से बच्चों को खरीदते हैं। हाल ही में नाथद्वारा और उदयपुर के अस्पतालों से नवजात बच्चों के अपहरण के मामले सामने आए हैं, जहाँ नर्स की वेशभूषा में महिलाएं बच्चों को ले गईं।
  • पारिवारिक विवाद: कई बार पारिवारिक रंजिश और जमीन के विवाद के चलते भी बच्चों को गायब कर दिया जाता है।
  • इसके अलावा, कुछ विशेषज्ञ यह भी मानते हैं कि वीडियो गेम या इंटरनेट पर मिलने वाले “टास्क” भी बच्चों को घर छोड़ने के लिए उकसा सकते हैं।

समाज को सतर्क होने की ज़रूरत

यह केवल सरकार या पुलिस की ज़िम्मेदारी नहीं है। हम सभी को मिलकर इस समस्या का समाधान करना होगा। माता-पिता और अभिभावकों को अपने बच्चों की सुरक्षा के लिए कुछ कदम उठाने चाहिए:

  • अजनबियों से सावधानी: बच्चों को सिखाएं कि वे किसी भी अजनबी से कोई chocolates, money or gifts न लें।
  • समूह में रहें: बच्चों को हमेशा समूह में खेलने या बाहर जाने की सलाह दें।
  • मोबाइल और इंटरनेट का उपयोग: बच्चों को मोबाइल कम दें और उनके मोबाइल पर प्राइवेसी लॉक लगाकर रखें। उन्हें मोबाइल पर क्या देखना है, इस पर भी ध्यान दें।
  • GPS Tracker: अगर संभव हो तो बच्चों के shoes, watches or toys में GPS tracker लगाएं ताकि उनकी लोकेशन का पता चलता रहे।
  • ID CARD : स्कूल और अभिभावकों के बीच यह नियम होना चाहिए कि बिना आईडी कार्ड दिखाए बच्चों को किसी को भी न सौंपा जाए।
  • पुलिस की लापरवाही भी एक बड़ी वजह
  • आंकड़े बताते हैं कि पुलिस इन मामलों को गंभीरता से नहीं लेती। भरतपुर में एक केस सामने आया जहां पुलिस ने 1,052 केस दर्ज किए। बाद में पता चला कि इनमें से 695 केस झूठे थे। पुलिस का कहना था कि कई बार बच्चे खुद ही घर से भाग जाते हैं या रिश्तेदारों के पास चले जाते हैं। इसलिए वे हर शिकायत दर्ज नहीं करते।
  • लेकिन यही लापरवाही अपराधियों के लिए मौका बन जाती है। जब तक पुलिस को शक होता है, तब तक अपराधी बच्चे को दूसरे राज्य में पहुंचा चुका होता है। पुलिस का यह रवैया बहुत खतरनाक है।

देश का हाल और राजस्थान का दर्द

Rajasthan Kidnapping Cases: राष्ट्रीय स्तर पर देखें तो हर 8 मिनट में एक बच्चा भारत से गायब होता है।
तीन लाख गुमशुदा बच्चों में से 36,000 कभी वापस नहीं मिलते। लेकिन राजस्थान की स्थिति इससे भी गंभीर है क्योंकि यहां गुमशुदा बच्चों का आंकड़ा लगातार बढ़ रहा है।

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