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यहां की होली में जलती है ‘बुराइया’ 11 मार्च से शुरू, Mehandipur Balaji के होली उत्सव की 5 रोचक बातें जो आपको हैरान कर देंगी!

Mehandipur Balaji में 6 दिवसीय होली महोत्सव: दौसा जिले के प्रसिद्ध धार्मिक स्थल Mehandipur Balaji में इस साल 11 मार्च से 6 दिवसीय होली उत्सव की शुरुआत होने जा रही है। यह आयोजन 16 मार्च तक चलेगा, जिसमें लाखों भक्त बालाजी महाराज के दर्शन के लिए आस्था धाम पहुंचेंगे। मेहंदीपुर बालाजी मंदिर ट्रस्ट के सचिव MK माथुर ने बताया कि होली के मौके पर बढ़ती भक्तों की भीड़ को देखते हुए ट्रस्ट ने करौली और दौसा के जिला कलेक्टर एवं SP को पत्र भेजकर व्यवस्थाओं में सहयोग की अपील की है।

क्यों खास है मेहंदीपुर बालाजी का होली उत्सव?

मेहंदीपुर बालाजी का नाम आते ही लोगों के मन में आस्था और चमत्कारिक शक्तियों की अद्भुत छवि उभरती है। होली के अवसर पर यहां होने वाला होलिका दहन विशेष मान्यता रखता है। मान्यता है कि मेहंदीपुर बालाजी में होलिका दहन की अग्नि की गर्मी से शरीर में मौजूद नकारात्मक ऊर्जा नष्ट हो जाती है और अलौकिक बाधाओं से मुक्ति मिलती है। इसी विश्वास के चलते हर साल यहां होलिका दहन के दिन भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है।

ट्रस्ट और प्रशासन की तैयारियां

भक्तों के बेहतर अनुभव के लिए मंदिर ट्रस्ट ने सुरक्षा, स्वच्छता, यातायात और चिकित्सा सुविधाओं को लेकर विशेष तैयारियां की हैं। मुख्य आयोजन स्थल पर CCTV कैमरे लगाए गए हैं, जबकि भीड़ नियंत्रण के लिए पुलिस और सुरक्षा कर्मियों की तैनाती बढ़ाई गई है। मंदिर परिसर के आसपास अतिरिक्त पार्किंग और शुद्ध पेयजल की व्यवस्था भी की गई है। साथ ही, आपातकालीन स्थिति के लिए मेडिकल कैंप और एंबुलेंस सेवा सक्रिय की गई है।

भारत के कोने कोने से आते हैं श्रद्धालु

मेहंदीपुर बालाजी का होली उत्सव केवल राजस्थान तक सीमित नहीं है। हरियाणा, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात, पंजाब, दिल्ली सहित विदेशों में रहने वाले सनातनी भक्त भी इस अवसर पर यहां पहुंचते हैं। ट्रस्ट के अनुसार, इस बार 10 लाख से अधिक श्रद्धालुओं के आने का अनुमान है। भक्तों की सुविधा के लिए विशेष बस सेवाएं और रेलवे स्टेशनों पर शटल व्यवस्था शुरू की जाएगी।

होलिका दहन का विशेष महत्व

मेहंदीपुर बालाजी में होलिका दहन का आयोजन मंदिर से कुछ दूरी पर किया जाता है। इसकी तैयारी में जलाऊ लकड़ी, घी और विशेष मंत्रों से सजाई गई होलिका का निर्माण किया जाता है। मान्यता के अनुसार, इस अग्नि में आहुति देने से व्यक्ति के जीवन की सभी बुराइयां जलकर भस्म हो जाती हैं। इस दौरान मंदिर के पुजारी विशेष प्रार्थनाएं करते हैं और भक्तों को प्रसाद के रूप में रक्षा कवच (लाल धागा) वितरित किया जाता है।

भक्तों के लिए जरूरी सुझाव

ट्रस्ट ने भक्तों से अपील की है कि वे भीड़ भाड़ वाले समय में सावधानी बरतें और कीमती सामान संभालकर रखें। मंदिर परिसर में मोबाइल फोन और कैमरों के उपयोग पर प्रतिबंध है, इसलिए नियमों का पालन करें। साथ ही, होली के रंगों में केमिकल युक्त पदार्थों के बजाय प्राकृतिक रंगों का उपयोग करने की सलाह दी गई है।

आध्यात्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रम

होली उत्सव के दौरान मेहंदीपुर बालाजी में प्रतिदिन भजन-कीर्तन, धार्मिक प्रवचन और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। 15 मार्च को होलिका दहन के बाद 16 मार्च को धुलैंडी के दिन मंदिर में फूलों और अबीर-गुलाल से विशेष पूजा होगी। इस मौके पर स्थानीय कलाकारों द्वारा लोक नृत्य और रासलीला का आयोजन भी किया जाएगा।

आस्था का अनूठा संगम

मेहंदीपुर बालाजी का होली उत्सव न केवल धार्मिक विश्वास, बल्कि सामाजिक सद्भाव का भी प्रतीक है। यहां आने वाले भक्तों का मानना है कि बालाजी महाराज की कृपा से हर संकट दूर होता है। प्रशासन और ट्रस्ट की ओर से की गई व्यापक तैयारियों के बीच इस बार का आयोजन और भी यादगार बनने की उम्मीद है।

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