Mahwa Dhand News: शुक्रवार, 11 अप्रैल 2025, महवा: आज महवा के ग्राम ढंड में महात्मा ज्योतिबा फुले की जयंती बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाई गई। इस कार्यक्रम में गांव के लोगों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। सभी ने अपने-अपने विचार रखे और महात्मा फुले के योगदान को याद किया। गांव के बुजुर्गों से लेकर युवाओं तक, सभी ने इस अवसर पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराई।
गांव वासियों ने साझा किए अपने विचार सुरेश सैनी जी
ग्राम ढंड के निवासी सुरेश सैनी जी ने कार्यक्रम में महात्मा ज्योतिबा फुले के विचारों पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि महात्मा फुले ग्रामीण समाज के सच्चे हितैषी थे। सुरेश जी ने कहा, “महात्मा फुले ने हमेशा गांवों को भारत की आत्मा माना। उन्होंने गांवों में शिक्षा और समानता के बीज बोए थे। आज हम उन्हीं के बताए मार्ग पर चल रहे हैं।”
सुरेश जी ने आगे बताया, “महात्मा फुले के विचार आज भी प्रासंगिक हैं। उन्होंने समाज सुधार के लिए आजीवन संघर्ष किया। हमें उनके बताए रास्ते पर चलना चाहिए। ग्रामीण विकास के लिए शिक्षा और समानता जरूरी है।”

डॉक्टर महेश सैनी ने रखे अपने विचार
गांव के जाने-माने डॉक्टर महेश सैनी ने भी कार्यक्रम में अपने विचार रखे। उन्होंने समाज की कुरीतियों और उनके समाधान पर बात की। डॉक्टर महेश ने कहा, “आज भी हमारे समाज में कई कुरीतियां मौजूद हैं। जातिवाद, लैंगिक भेदभाव, और अशिक्षा जैसी समस्याएं अब भी हैं। महात्मा फुले ने इन सब के खिलाफ आवाज उठाई थी।”
उन्होंने आगे बताया, “स्वास्थ्य शिक्षा और सामाजिक जागरूकता से ही समाज बदल सकता है। हमें अपने बच्चों को शिक्षित करना होगा। लड़का-लड़की में भेदभाव नहीं करना चाहिए। यही महात्मा फुले का संदेश था।”

बुजुर्गों ने साझा की यादें
गांव के बुजुर्गों ने भी कार्यक्रम में भाग लिया। उन्होंने अपने अनुभव साझा किए और महात्मा फुले के विचारों का महत्व बताया। 85 वर्षीय रामसिंह जी ने कहा, “मैंने अपने जीवन में बहुत बदलाव देखे हैं। पहले लड़कियां स्कूल नहीं जाती थीं। अब सभी पढ़ती हैं। यह महात्मा फुले जैसे महापुरुषों के कारण ही संभव हुआ है।”
गांव की बुजुर्ग महिला कमला देवी ने कहा, “महात्मा फुले और सावित्रीबाई फुले ने महिलाओं के लिए शिक्षा के द्वार खोले। उनके कारण ही आज हम सिर उठाकर जी पा रही हैं। मेरी पोतियां अब डॉक्टर और इंजीनियर बन रही हैं।”
महात्मा ज्योतिबा फुले: समाज सुधारक और शिक्षा के प्रणेता
कार्यक्रम में महात्मा ज्योतिबा फुले के जीवन और योगदान पर एक विशेष प्रस्तुति भी दी गई। स्थानीय बिजली विभाग के कर्मचारी मानसिंह सैनी जी ने बताया, “महात्मा ज्योतिबा फुले का जन्म 11 अप्रैल 1827 को महाराष्ट्र के सतारा जिले में हुआ था। उन्होंने अपना पूरा जीवन समाज सुधार के लिए समर्पित कर दिया।”
उन्होंने आगे बताया, “महात्मा फुले ने 1848 में लड़कियों के लिए पहला स्कूल खोला था। उनकी पत्नी सावित्रीबाई फुले भारत की पहली महिला शिक्षिका बनीं। दोनों ने मिलकर शिक्षा के क्षेत्र में क्रांति लाई।”
समाज में महात्मा फुले का योगदान
कार्यक्रम में महात्मा फुले के समाज में योगदान पर विस्तार से चर्चा हुई। गांव के युवा नेता गोपेश सैनी जी ने बताया, “महात्मा फुले ने ‘सत्यशोधक समाज’ की स्थापना की। इसका उद्देश्य निम्न जातियों और महिलाओं को सामाजिक और धार्मिक अत्याचारों से मुक्त कराना था।”
उन्होंने आगे कहा, “महात्मा फुले ने विधवा पुनर्विवाह का समर्थन किया। उन्होंने कन्या शिशु हत्या के खिलाफ आवाज उठाई। उन्होंने विधवाओं के लिए आश्रम खोला। यह सब उस समय की क्रांतिकारी पहल थी।”
महिला शिक्षा के क्षेत्र में योगदान
स्थानीय महिला समूह की मीरा देवी ने महात्मा फुले के महिला शिक्षा में योगदान पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, “महात्मा फुले और सावित्रीबाई ने लड़कियों की शिक्षा के लिए अथक प्रयास किए। उन्हें समाज का विरोध झेलना पड़ा। लोग उन पर कीचड़ और गोबर फेंकते थे। फिर भी वे रुके नहीं।”
मीरा देवी ने आगे बताया, “महात्मा फुले का मानना था कि शिक्षा ही समाज बदल सकती है। उन्होंने कहा था कि किसी भी समाज के विकास का आकलन उस समाज में महिलाओं की स्थिति को देखकर किया जा सकता है। यह बात आज भी सच है।”
आधुनिक समाज पर महात्मा फुले का प्रभाव
कार्यक्रम में आधुनिक समाज पर महात्मा फुले के प्रभाव पर भी चर्चा हुई। स्थानीय कॉलेज के प्रोफेसर दीपक चौधरी ने कहा, “महात्मा फुले के विचारों ने बाबासाहेब आंबेडकर को बहुत प्रभावित किया था। आंबेडकर ने उन्हें अपना गुरु माना था। भारतीय संविधान में समानता के सिद्धांत महात्मा फुले के विचारों से प्रेरित हैं।”
उन्होंने आगे कहा, “आज की शिक्षा नीति, आरक्षण व्यवस्था, और महिला अधिकार – इन सभी में महात्मा फुले के विचारों का प्रभाव देखा जा सकता है। उनके विचार हमारे समाज की नींव में हैं।”
युवाओं पर महात्मा फुले के विचारों का प्रभाव
कार्यक्रम में युवाओं ने भी अपने विचार रखे। स्थानीय युवा नेता राजेंद्र सैनी जी ने कहा, “हमें महात्मा फुले के विचारों से बहुत कुछ सीखने को मिलता है। वे हमें सिखाते हैं कि हमें अन्याय के खिलाफ आवाज उठानी चाहिए। शिक्षा का महत्व समझना चाहिए।”
कॉलेज के छात्र मुनीम सैनी ने कहा, “महात्मा फुले की जीवनी पढ़कर मुझे बहुत प्रेरणा मिली है। उन्होंने बिना किसी स्वार्थ के समाज के लिए काम किया। हम युवाओं को उनसे सीखना चाहिए।”
मानवता के सच्चे सेवक
कार्यक्रम के अंत में सभी ने मिलकर महात्मा ज्योतिबा फुले को श्रद्धांजलि दी। गांव के बड़े बूढ़े लोगो ने कहा, “महात्मा फुले मानवता के सच्चे सेवक थे। उन्होंने समाज के शोषित और वंचित वर्गों के कल्याण के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया। देश के लिए उनका अमूल्य योगदान हर पीढ़ी को प्रेरित करता रहेगा।”
उन्होंने आगे कहा, “महात्मा फुले ने भारतीय समाज पर अपना गहरा प्रभाव छोड़ा है। भेदभाव और असमानता के खिलाफ बड़ी लड़ाई लड़ी। जन-जन के सशक्तिकरण के प्रयास किए। सत्य शोधक समाज की स्थापना की।”
गांव में भविष्य की योजनाएं
सुरेश सैनी जी आगे बताया, “हम हर साल महात्मा फुले की जयंती मनाएंगे। स्कूल में एक निबंध प्रतियोगिता भी आयोजित करेंगे। बच्चों को महात्मा फुले के विचारों से अवगत कराएंगे।”
Mahwa Dhand News: कार्यक्रम का समापन
गांव के एक युवा संजय सैनी ने कहा, “यह कार्यक्रम बहुत प्रेरणादायक था। मुझे महात्मा फुले के बारे में बहुत कुछ जानने को मिला। अब मैं अपने गांव में शिक्षा के प्रचार-प्रसार में योगदान दूंगा।”
इस प्रकार, महवा के ग्राम ढंड में महात्मा ज्योतिबा फुले की जयंती धूमधाम से मनाई गई। यह कार्यक्रम गांव वासियों के लिए शिक्षाप्रद और प्रेरणादायक रहा। सभी ने महात्मा फुले के विचारों को अपनाने का संकल्प लिया। महात्मा फुले की जयंती पर सादर नमन।