Latest News About India And China: New Delhi,18 अगस्त, 2025: दुनिया भर में Geopolitical समीकरण तेजी से बदल रहे हैं। इन बदलावों के केंद्र में भारत की बढ़ती भूमिका है। पिछले कुछ समय से भारत और रूस के बीच मजबूत होते रिश्तों के बाद अब भारत और चीन के बीच एक नए युग की शुरुआत होती दिख रही है। चीन के Foreign Minister Wang Yi की 18 और 19 अगस्त को दो दिवसीय भारत यात्रा ने इस बदलाव की पुष्टि की है। यह यात्रा ऐसे समय में हुई है जब भारत भी अमेरिकी दबाव का सामना कर रहा है, ठीक वैसे ही जैसे कुछ महीने पहले चीन ने किया था।
क्यों खास है यह मुलाकात?
China’s Foreign Minister Wang Yi की यह यात्रा तीन साल बाद हुई है। यह यात्रा गलवान घाटी की झड़पों और कोरोना काल के बाद बहुत महत्व रखती है। उन्होंने India’s Foreign Minister S. Jaishankar और National Security Advisor Ajit Doval से लंबी बातचीत की। सबसे महत्वपूर्ण बात, उनकी मुलाकात Prime Minister Narendra Modi से भी हुई। प्रधानमंत्री से मुलाकात हमेशा एक बहुत बड़ा संकेत मानी जाती है।
इस मुलाकात के तुरंत बाद ही चीन ने भारत पर लगे कुछ महत्वपूर्ण प्रतिबंध हटा दिए। इन प्रतिबंधों में वे’Rare Earth Minerals’ शामिल हैं जिन पर चीन का दुनिया में एकाधिकार है। ये वही खनिज हैं जिन्हें चीन ने अमेरिका के साथ व्यापारिक लड़ाई के दौरान रोक दिया था और अमेरिका को झुकने पर मजबूर कर दिया था।

रेयर अर्थ एलिमेंट्स क्या हैं?
- ‘Rare Earth Minerals’ 17 रासायनिक तत्वों का एक समूह है, जिसमें 15 लैंथेनाइड्स के साथ स्कैंडियम और येट्रियम शामिल हैं। इन तत्वों का उपयोग Smartphones, TV screens, lasers, optical fibers, nuclear reactors और यहां तक कि missiles and fighter jets में भी होता है। चीन इन तत्वों का सबसे बड़ा उत्पादक है और दुनिया के 90% से ज्यादा Rare Earth Minerals मार्केट पर उसका नियंत्रण है।
- जब ट्रंप ने चीन पर टैरिफ लगाए, तो चीन ने अमेरिका को सबक सिखाने के लिए इन एलिमेंट्स की आपूर्ति रोक दी। यह चीन की एक बड़ी चाल थी, क्योंकि अमेरिका अपनी हाई-टेक इंडस्ट्री के लिए इन तत्वों पर बहुत हद तक चीन पर निर्भर है। चीन ने भारत को भी इन तत्वों की सप्लाई रोक दी थी, ताकि भारत अमेरिका को इनकी री-एक्सपोर्ट न कर सके।
- अब चीन ने इन प्रतिबंधों को हटा दिया है। इसका सीधा असर भारत के Stock Market पर देखने को मिला। यात्रा के अगले दिन ही इलेक्ट्रिक वाहन बनाने वाली कंपनियों जैसे ओला इलेक्ट्रिक मोबिलिटी और टाटा मोटर्स के शेयरों में उछाल आया। यह साफ दर्शाता है कि चीन के इस कदम से भारत की इंडस्ट्री में एक नई जान आ गई है।

भारत और चीन के बीच वार्ता
Latest News About India And China: चीनी विदेश मंत्री ने अपनी यात्रा के दौरान भारत के National Security Advisor Ajit Doval, External Affairs Minister S. Jaishankar, and Prime Minister Narendra Modi से मुलाकात की। यह मुलाकात 2019 के बाद पहली उच्च-स्तरीय वार्ता थी।
दोनों देशों के बीच कई अहम मुद्दों पर बातचीत हुई, जिनमें शामिल हैं:
- द्विपक्षीय उड़ानें फिर से शुरू करना: India and China के बीच कोरोना और गलवान घाटी घटना के बाद बंद हुई सीधी उड़ानों को फिर से शुरू करने का निर्णय लिया गया है।
- ब्रह्मपुत्र नदी पर बांध: भारत ने ब्रह्मपुत्र नदी पर China द्वारा बनाए जा रहे बांध को लेकर अपनी चिंताएं साझा कीं। दोनों देशों ने मिलकर एक ऐसी व्यवस्था बनाने पर सहमति जताई, जिससे डाउनस्ट्रीम में रहने वाले भारत को कोई नुकसान न हो।
- वन चाइना पॉलिसी: भारत ने एक बार फिर वन चाइना प्रिंसिपल के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराई और ताइवान को चीन का हिस्सा माना। हालांकि, भारत ने यह भी साफ किया कि वह ताइवान के साथ आर्थिक और सांस्कृतिक संबंध बनाए रखेगा, जैसा कि दुनिया के अन्य देश करते हैं।

शेयर बाजार पर असर
- चीन द्वारा यह घोषणा करते ही भारत के शेयर बाजार में हलचल मच गई।
- Tata Motors and Ola Electric के शेयर तेजी से चढ़ गए।
- Automobile Sector में निवेशकों ने खूब खरीदारी की।
- इलेक्ट्रिक मोबिलिटी कंपनियों के शेयरों में उछाल आया क्योंकि Rare Earth Elements मिलने का मतलब है – बैटरी और मोटर प्रोडक्शन आसान होगा।
भारत पर क्या असर पड़ा?
America को सबक सिखाने के चक्कर में China ने भारत को भी इन खनिजों की आपूर्ति बंद कर दी। इसका सीधा असर भारत के ऑटोमोबाइल और इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग पर पड़ा। इलेक्ट्रिक वाहन बनाने वाली कंपनियों जैसे ओला और टाटा मोटर्स को मुश्किलों का सामना करना पड़ा। इसके अलावा, चीन ने भारत को उर्वरक (फर्टिलाइजर) और सुरंग बनाने वाली बड़ी मशीनों की आपूर्ति भी रोक दी, जिससे किसानों और इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स पर असर पड़ा।
इस कदम से भारत को एहसास हुआ कि उसे अपनी जरूरतों के लिए दूसरे देशों पर निर्भर नहीं रहना चाहिए। भारत ने तुरंत ही अपने देश में Rare Earth Elements की खोज और खनन के लिए 5000 करोड़ रुपये की योजना शुरू की।
अब क्यों बदला चीन का रवैया?
चीन ने महसूस किया कि भारत के साथ रिश्ते खराब करने से उसका नुकसान ही होगा। भारत एक बहुत Big market है और Geopolitics में इसकी अहमियत बढ़ रही है। चीन चाहता है कि India and China मिलकर अमेरिका के दबाव का सामना करें। चीन के विदेश मंत्री ने साफ कहा कि भारत और चीन को “साझेदार” बनना चाहिए, “प्रतिद्वंद्वी” नहीं।
इसलिए, इस यात्रा के दौरान चीन ने भारत को यह विश्वास दिलाया कि वह उसे रेयर अर्थ मिनरल्स, उर्वरक और टनल बोरिंग मशीनें फिर से देगा। इस खबर के आते ही भारतीय शेयर बाजार में ऑटोमोबाइल कंपनियों के शेयरों में तेजी आ गई।
ताइवान और सीमा विवाद पर क्या हुई बात?
भारत ने चीन को आश्वासन दिया कि वह ‘One China Policy‘ का सम्मान करता है और ताइवान को चीन का हिस्सा मानता है। हालांकि, भारत ने यह भी कहा कि वह ताइवान के साथ आर्थिक और सांस्कृतिक संबंध रखेगा, जैसा कि दुनिया के अन्य देश करते हैं।
सीमा विवाद पर, दोनों देशों ने बातचीत जारी रखने पर सहमति जताई। यह तय किया गया कि सीमा पर शांति बनाए रखने के लिए बातचीत का सिलसिला नहीं टूटना चाहिए।
पाकिस्तान का मुद्दा और अमेरिका की चिंता
China का Pakistan के साथ गहरा रिश्ता भारत के लिए हमेशा चिंता का विषय रहा है। लेकिन चीन के विदेश मंत्री के बयान से लगता है कि चीन अब भारत को पाकिस्तान से ज्यादा अहमियत दे रहा है। उन्होंने कहा कि भारत और चीन मिलकर विकासशील देशों के लिए एक उदाहरण पेश कर सकते हैं।
इस बीच, भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर का वांग यी से मिलने के तुरंत बाद रूस की यात्रा पर जाना भी एक बड़ा संदेश है। भारत, रूस और चीन का आपसी सहयोग अमेरिका के लिए एक बड़ी चुनौती बन सकता है। पाकिस्तान के सरकारी अफसर ने तो यहां तक कहा कि “भारत एक चमकती हुई मर्सिडीज कार है और पाकिस्तान एक ट्रक डंपर। अगर दोनों टकराएंगे तो नुकसान किसका होगा?” इस बयान से साफ है कि पाकिस्तान भारत की ताकत को समझने लगा है।
Latest News About India And China:आम जनता पर असर
इस पूरी घटना का सीधा असर आम लोगों पर भी होगा।
- किसानों को अब सस्ता DAP Fertilizer मिलेगा।
- इलेक्ट्रिक गाड़ियां और बैटरियां थोड़ी सस्ती हो सकती हैं।
- बड़े इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स (टनल, हाईवे) तेज़ी से पूरे होंगे