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Jagannath Rath Yatra 2025: सुखोई जेट के टायरों पर निकलेगा रथ, जानें तीनों रथों के नाम और महत्व!

Jagannath Rath Yatra 2025: 1 जून 2025: कोलकाता इसकॉन की मशूर भगवान जगनात रथ यात्रा के रथ के पहियों को 48 साल बाद बदला गया। और भगवान के रथ में सुखोई फाइटर जेट के टायर लगाए गए हैं। इसके पहले भगवान जगनात के रथ में बोइंग विमान के पुराने टायरों का इस्तिमाल किया जाता था। अब आयोजिकों ने सुखोई जेट के टायरों को रथ में लगाने का फैसला किया है।

इस साल जगन्नाथ रथ यात्रा 27 जून से शुरू होगी और 8 दिनों तक चलेगी, जिसका समापन 5 जुलाई को होगा। इस बार की यात्रा विशेष रूप से चर्चित है, क्योंकि पहली बार भगवान जगन्नाथ का रथ भारतीय वायुसेना के सुखोई विमान के पहियों पर चलेगा।

48 साल बाद रथ के पहियों में बड़ा बदलाव

कोलकाता इस्कॉन द्वारा आयोजित जगन्नाथ रथयात्रा हर साल लाखों श्रद्धालुओं को आकर्षित करती है। रथ को वर्षों से पुराने बोइंग विमान के टायरों के सहारे खींचा जाता रहा है, परंतु 48 साल बाद पहली बार टायरों को बदलने का निर्णय लिया गया है।

इस बार रथ में भारतीय वायुसेना के सुखोई विमान के पुराने टायर लगाए जाएंगे। इन टायरों की ताकत और विश्वसनीयता को देखते हुए आयोजकों ने इन्हें भगवान के रथ में लगाने का निर्णय लिया है।

जगन्नाथ रथ यात्रा: इतिहास और महत्व

Jagannath Rath Yatra 2025 image-by-X.
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Jagannath Rath Yatra 2025! ओडिशा राज्य के पुरी शहर में स्थित भगवान श्री जगन्नाथ का मंदिर देश और दुनिया में प्रसिद्ध है। यह मंदिर लगभग 800 साल से भी पुराना है और हिंदुस्तान के प्रमुख चार धामों में से एक है, जो भगवान विष्णु के अवतार श्री कृष्ण को समर्पित है। वैसे तो जगन्नाथ पुरी में हर साल लाखों लोग भगवान श्री जगन्नाथ के दर्शन करने पहुंचते हैं, लेकिन यहां आयोजित होने वाले वार्षिक रथ यात्रा उत्सव में आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या कई गुना बढ़ जाती है।

रथ यात्रा में पुरी कैसे पहुंचें?

पुरी पहुंचना काफी आसान है, चाहे आप हवाई मार्ग, सड़क मार्ग या रेल मार्ग का उपयोग करें।

वायु मार्ग:
पुरी का सबसे नज़दीकी एयरपोर्ट भुवनेश्वर में है, जो केवल 60 किलोमीटर दूर है। भुवनेश्वर से दिल्ली और मुंबई के लिए सीधी उड़ानें उपलब्ध हैं। देश के अन्य शहरों से भी भुवनेश्वर हवाई मार्ग के जरिए अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। भुवनेश्वर पहुंचकर, आप पुरी तक का सफर रेल अथवा सड़क के रास्ते कर सकते हैं। आप कैब हायर करके या बस द्वारा भी पुरी आसानी से पहुंच सकते हैं, जिसमें लगभग डेढ़ घंटे का समय लगता है।

सड़क मार्ग:
जगन्नाथ पुरी सड़क के रास्ते देश के अधिकांश शहरों से जुड़ा हुआ है। कोलकाता से पुरी पहुंचने के लिए भी सीधी बस सेवा उपलब्ध है। ओडिशा टूरिज्म की ओर से कई लक्जरी बसें श्रद्धालुओं के लिए चलाई जाती हैं। रथ यात्रा के दौरान भुवनेश्वर से पुरी के बीच विशेष बस सुविधा उपलब्ध कराते हुए एक्स्ट्रा बसें चलाई जाती हैं।

रेल मार्ग:
पुरी एक प्रमुख रेलवे स्टेशन है जो भारत के लगभग सभी बड़े शहरों से जुड़ा हुआ है। कोलकाता, दिल्ली, आगरा, गुवाहाटी, चेन्नई आदि से सीधी ट्रेन सेवाएँ उपलब्ध हैं। दक्षिण भारत से भी एक विशेष लाइन पुरी तक जाती है। इसके अलावा, पुरी तक पहुंचने के लिए दक्षिण पूर्वी रेल की एक अलग लाइन है, जो दक्षिणी राज्यों को सीधे पुरी से जोड़ती है। पुरी से केवल 62 किलोमीटर दूर ही भुवनेश्वर रेलवे स्टेशन भी है, जो एक बड़ा रेलवे स्टेशन है। पुरी के लिए कई एक्सप्रेस ट्रेनें देश के प्रमुख शहरों से चलती हैं। कोलकाता से पुरी के लिए सीधी ट्रेन सेवा है। आप वंदे भारत ट्रेन से भी पहुंच सकते हैं। गुवाहाटी और पुरी को जोड़ने वाली ट्रेन भी उपलब्ध है।

पुरी रथ यात्रा: एक झलक

पुरी, ओडिशा का वह ऐतिहासिक नगर है जहां भगवान श्री जगन्नाथ का मूल मंदिर स्थित है। यह मंदिर 12वीं शताब्दी में बनवाया गया था और यह चार धामों में से एक प्रमुख तीर्थ स्थल है। हर साल असंख्य भक्त रथ यात्रा में शामिल होने के लिए पुरी आते हैं।

रथ यात्रा का धार्मिक महत्व

रथ यात्रा का मुख्य उद्देश्य भगवान जगन्नाथ, उनके भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा को गुंडिचा मंदिर तक ले जाना होता है, जिसे उनकी मौसी का घर माना जाता है। ये तीनों देवता विशाल रथों में विराजमान होकर पुरी नगर भ्रमण करते हैं।

रथों की विशेषताएँ

तीनों रथ हर वर्ष नए तरीके से बनाए जाते हैं और इन्हें हर साल नया रूप दिया जाता है।

Jagannath Rath Yatra 2025 image-by-X.
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भगवान जगन्नाथ का रथ (नंदी घोष):

  • ऊँचाई: 45 फीट
  • पहियों की संख्या: 16
  • रंग: लाल और पीला
  • घोड़े: सफेद
  • सारथी: दारूक
  • रथ की रस्सी: संक चूड़ा नागिनी

बलराम का रथ (तालध्वज):

  • ऊँचाई: 43 फीट
  • पहियों की संख्या: 14
  • रंग: लाल, हरा
  • सारथी: मातलि
  • रथ की रस्सी: वासुकी नाग

सुभद्रा का रथ (पद्म रथ):

  • ऊँचाई: 42 फीट
  • पहियों की संख्या: 12
  • रंग: काला और लाल
  • सारथी: अर्जुन
  • रथ की रस्सी: स्वर्ण चूड़ा नागिनी

Jagannath Rath Yatra 2025: रथ निर्माण की प्रक्रिया

इन रथों के निर्माण के लिए विशेष रूप से चुनी गई नीम की लकड़ी (दारू) का उपयोग होता है। हर साल बसंत पंचमी से रथ निर्माण की प्रक्रिया शुरू हो जाती है, और अक्षय तृतीया से इनका निर्माण विधिवत रूप से आरंभ होता है।

कहा जाता है कि रथों में एक भी कील या धातु का प्रयोग नहीं किया जाता। ये शुद्ध लकड़ी से बनाए जाते हैं, और इन्हें खींचने के लिए विशेष रस्सियाँ बनाई जाती हैं।

मंदिर का महाप्रसाद

आप श्री जगन्नाथ मंदिर परिसर में नॉर्थ-ईस्ट कॉर्नर पर स्थित आनंद बाजार से पवित्र महाप्रसाद प्राप्त कर सकते हैं। महाप्रसाद में ड्राई स्वीट्स, चावल, दाल, करी और सब्जी आदि शामिल होते हैं। यह प्रसाद छोटे-बड़े आकार में बने मिट्टी के पात्रों में मिलता है। छोटे से छोटे एक पात्र की कीमत करीब ₹20-₹25 होती है। आप यहां बने डाइनिंग हॉल में बैठकर यह प्रसाद ग्रहण कर सकते हैं। इसके अलावा, यहां प्रसाद काउंटर पर विभिन्न आइटम्स की लिस्ट में से सेलेक्ट करके आप अपनी इच्छा अनुसार प्रसाद परचेज कर सकते हैं। हम आपको बता दें कि मंदिर का महाप्रसाद आप मंदिर परिसर में निर्धारित स्थान पर प्रसाद काउंटर से ही प्राप्त करें।

पुरी शहर के अन्य दर्शनीय स्थल

पुरी शहर में श्री जगन्नाथ मंदिर के अलावा अन्य दर्शनीय स्थलों में शामिल हैं:

  • गुंडिचा घर
  • लोकनाथ मंदिर
  • पुरी बीच
  • स्वर्ण द्वार
  • नरेंदु टैंक
  • प्रज्ञा हनुमान
  • सोनार गोरंग मंदिर
  • आर्धा सनी मंदिर
  • गोवर्धन मठ
  • जगन्नाथ वल्लभ मठ
  • शंकराचार्य मठ
  • अद्वैत ब्रह्म आश्रम
  • पुरी शहर घूमने के लिए आपको साइकिल रिक्शा, ऑटो रिक्शा, टू-व्हीलर से लेकर फोर-व्हीलर तक के वाहन किराए पर मिल जाते हैं। आप अपनी सुविधा के अनुसार किसी भी वाहन का चयन कर सकते हैं।

आसपास के दर्शनीय स्थल:

Jagannath Rath Yatra 2025:पुरी के आसपास के प्रमुख दर्शनीय स्थल इस प्रकार हैं:

भुवनेश्वर: पुरी से करीब 60 किलोमीटर दूर भुवनेश्वर में आप लिंगराज मंदिर, धौली हिल्स, उदयगिरि और खंडगिरि की गुफाएं, बिंदु सरोवर, नंदन कानन जूलॉजिकल पार्क देख सकते हैं।

कोणार्क सूर्य मंदिर: पुरी से करीब 35 किलोमीटर दूर कोणार्क का सूर्य मंदिर यूनेस्को के विश्व विरासत स्थलों में शामिल है। यह वाकई अद्भुत है, जिसे आपको जरूर देखना चाहिए। साथ ही, संग्रहालय, कोणार्क बीच और पुरी के रास्ते पर चंद्रभागा बीच भी देखने लायक हैं।

चिलका लेक: भारत की सबसे बड़ी और विश्व की दूसरी सबसे बड़ी समुद्री झील चिलका लेक जाने के लिए आपको एक दिन पहले ही पुरी से बस का टिकट बुक कराना होगा। प्राइवेट बसों में टिकट करीब ₹150 का है। आप चाहें तो टैक्सी लेकर भी जा सकते हैं। चिलका झील में बोटिंग के लिए कॉमन बोट का किराया ₹250 और पर्सनल बोट का किराया ₹3000 से ₹3500 तक है। झील में दो घंटे की बोटिंग होती है

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