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साल में एक बार लगेगा इंजेक्शन, HIV का खतरा होगा खत्म! गिलिएड की दवा लेनाकैपावीर (Lenacapavir) ने दिखाया रास्ता

HIV यानी ह्यूमन इम्यूनोडेफिशिएंसी वायरस एक गंभीर बीमारी है जो शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को नष्ट कर देती है। अगर इसका इलाज न किया जाए, तो यह एड्स (AIDS) का रूप ले सकती है, जो जानलेवा हो सकता है। दुनिया भर में करोड़ों लोग इस वायरस से जूझ रहे हैं, और भारत समेत अफ्रीका जैसे क्षेत्रों में इसका प्रकोप तेजी से बढ़ रहा है। ऐसे में एक नई खोज ने उम्मीद की किरण जगाई है। अमेरिकी कंपनी गिलिएड साइंसेज द्वारा विकसित दवा लेनाकैपावीर (Lenacapavir) का साल में एक बार लगने वाला इंजेक्शन HIV से बचाव में कारगर साबित हुआ है।

HIV से लड़ाई में क्रांतिकारी कदम: सालाना इंजेक्शन

फिलहाल, HIV  के खतरे को कम करने के लिए लोगों को रोज़ाना गोलियां खानी पड़ती हैं या हर दो महीने में इंजेक्शन लगवाना पड़ता है। इसे PrEP (Pre-Exposure Prophylaxis) कहा जाता है। हालांकि यह तरीका प्रभावी है, लेकिन कई लोगों के लिए रोज़ाना दवा लेना मुश्किल होता है। ऐसे में लेनाकैपावीर नामक दवा का साल में सिर्फ एक बार लगने वाला इंजेक्शन एक बड़ी राहत दे सकता है।

मेडिकल जर्नaल द लैंसेट में प्रकाशित एक स्टडी के मुताबिक, इस इंजेक्शन को लेने के बाद शरीर में दवा का असर कम से कम 56 हफ्तों (लगभग 13 महीने) तक बना रहता है। यह दवा HIV वायरस को शरीर की कोशिकाओं में घुसने और फैलने से रोकती है।

लेनाकैपावीर (Lenacapavir) कैसे काम करता है?

लेनाकैपावीर एक कैप्सिड इनहिबिटर है, जो वायरस के बाहरी आवरण (कैप्सिड) को नष्ट कर देता है। इससे वायरस शरीर में प्रवेश नहीं कर पाता और संक्रमण फैलाने में असमर्थ रहता है। यह दवा लंबे समय तक शरीर में रहकर सुरक्षा प्रदान करती है, इसलिए इसे साल में एक बार ही लगाने की जरूरत होती है।

क्लीनिकल ट्रायल: क्या कहते हैं नतीजे?

  • इस स्टडी का पहला चरण (Phase 1) 18 से 55 साल की उम्र के 40 स्वस्थ प्रतिभागियों पर किया गया। इन्हें दो अलग-अलग फॉर्मूलों (5% और 10% एथेनॉल वाले) वाला इंजेक्शन दिया गया। शोधकर्ताओं ने पाया कि:
  • दोनों फॉर्मूले सुरक्षित और सहनशील थे।
  • इंजेक्शन वाली जगह पर हल्का दर्द (3-4 दिन में ठीक हो गया) जैसे साइड इफेक्ट्स सामने आए।
  • इंजेक्शन के 56 हफ्ते बाद भी दवा शरीर में मौजूद थी।

हालांकि, यह स्टडी छोटे सैंपल साइज़ पर आधारित है, इसलिए बड़े पैमाने पर ट्रायल्स की जरूरत है। अगले चरणों में यह देखा जाएगा कि यह इंजेक्शन HIV संक्रमण को रोकने में कितना प्रभावी है।

मौजूदा बचाव के तरीके: क्या हैं चुनौतियां?

  • HIV से बचाव के लिए वर्तमान में दो मुख्य तरीके हैं:
  • डेली PrEP गोलियां: इन्हें रोज़ाना लेना पड़ता है, जो कई लोगों के लिए मुश्किल होता है।
  • हर दो महीने में इंजेक्शन: इसमें लोगों को नियमित अस्पताल जाना पड़ता है।

इन तरीकों के बावजूद, 2023 में दुनिया भर में 13 लाख नए एचआईवी केस सामने आए। ऐसे में लेनाकैपावीर जैसे दीर्घकालिक समाधान बेहद जरूरी हैं, खासकर उन इलाकों में जहां स्वास्थ्य सुविधाएं कम हैं।

क्यों है यह खोज अहम?

  • सुविधा: साल में एक बार इंजेक्शन लगवाना आसान है।
  • गोपनीयता: कई लोग दवा की बोतल या इंजेक्शन के डर से PrEP नहीं लेते। सालाना इंजेक्शन से इस समस्या में कमी आएगी।
  • वैश्विक प्रभाव: अफ्रीका जैसे क्षेत्रों में, जहां 65% HIV मरीज रहते हैं, यह इंजेक्शन जान बचा सकता है।

आगे क्या होगा?

गिलिएड साइंसेज अब इस दवा के फेज 2 और 3 ट्रायल्स की तैयारी कर रही है, जिनमें हजारों प्रतिभागी शामिल होंगे। इन ट्रायल्स का मकसद यह पता लगाना है कि:

  • क्या यह इंजेक्शन विभिन्न आयु, लिंग और जातीय समूहों में समान रूप से काम करता है?
  • क्या यह HIV के सभी प्रकारों (स्ट्रेन्स) के खिलाफ प्रभावी है?
  • विशेषज्ञों का मानना है कि अगर यह दवा सफल रही, तो 2026 तक यह बाजार में उपलब्ध हो सकती है।

एचआईवी के बारे में जरूरी बातें

  • लक्षण: बुखार, गले में खराश, वजन कम होना, थकान।
  • बचाव: सुरक्षित यौन संबंध, संक्रमित सुई न इस्तेमाल करना।
  • इलाज: एंटीरेट्रोवाइरल थेरेपी (ART) से HIV को नियंत्रित किया जा सकता है, लेकिन इसका इलाज अभी संभव नहीं है।

1. एचआईवी का वैश्विक प्रभाव

2023 के आंकड़ों के अनुसार, दुनिया भर में 3.9 करोड़ लोग HIV के साथ जी रहे हैं। इनमें से 67% मामले सिर्फ अफ्रीका में हैं। भारत में यह आंकड़ा लगभग 24 लाख का है। इस बीमारी के फैलने के मुख्य कारण हैं:

  • जागरूकता की कमी
  • असुरक्षित यौन संबंध
  • संक्रमित रक्त चढ़ाना
  • लेनाकैपावीर जैसी दवाएं इन आंकड़ों को कम करने में अहम भूमिका निभा सकती हैं।

2. PrEP की सीमाएं

PrEP गोलियां 99% तक प्रभावी हैं, लेकिन इन्हें रोज़ाना लेना जरूरी है। एक स्टडी के मुताबिक, 40% लोग इन्हें नियमित नहीं ले पाते। इसके अलावा, कुछ देशों में यह दवा महंगी है और सरकारी स्वास्थ्य योजनाओं में शामिल नहीं है।

3. लेनाकैपावीर की खासियत

लंबे समय तक असर: यह दवा धीरे-धीरे शरीर में रिलीज़ होती है, इसलिए साल भर सुरक्षा देती है।

स्टोरेज में आसान: इसे सामान्य तापमान पर रखा जा सकता है, जो ग्रामीण इलाकों के लिए फायदेमंद है।

4. चुनौतियां और आशंकाएं

  • दवा प्रतिरोध: क्या वायरस इस दवा के खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता विकसित कर लेगा?
  • लागत: अगर यह इंजेक्शन महंगा हुआ, तो गरीब देशों तक इसकी पहुंच मुश्किल होगी।
  • साइड इफेक्ट्स: लंबे समय तक इस्तेमाल से क्या दुष्प्रभाव होंगे?

5. भारत के लिए क्या मायने हैं?

भारत में एचआईवी के मामले दक्षिणी राज्यों (जैसे तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश) में ज्यादा हैं। सालाना इंजेक्शन से यहां के स्वास्थ्यकर्मियों को रोकथाम में मदद मिलेगी। सरकार को चाहिए कि वह इस दवा को “राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण कार्यक्रम” में शामिल करे।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)

Q: क्या यह इंजेक्शन एचआईवी का इलाज कर सकता है?

A: नहीं, यह सिर्फ बचाव के लिए है। एचआईवी का इलाज ART दवाओं से ही संभव है।

Q: क्या यह इंजेक्शन गर्भवती महिलाओं के लिए सुरक्षित है?

A: फिलहाल, इस पर शोध नहीं हुआ है। गर्भावस्था में डॉक्टर की सलाह जरूरी है।

Q: इसकी कीमत कितनी होगी?

A: अभी इसकी कीमत सामने नहीं आई है, लेकिन गिलिएड साइंसेज ने विकासशील देशों के लिए सस्ते विकल्पों पर विचार किया है।

निष्कर्ष: एक नई उम्मीद

Lenacapavir का इंजेक्शन एचआईवी की रोकथाम में एक बड़ी छलांग साबित हो सकता है। यह न सिर्फ लोगों की जिंदगी आसान करेगा, बल्कि दुनिया भर में इस बीमारी के प्रसार को रोकने में मदद करेगा। हालांकि, अभी यह दवा अंतिम चरण में नहीं पहुंची है, लेकिन इसके शुरुआती नतीजे उत्साहजनक हैं। स्वास्थ्य संगठनों और सरकारों को चाहिए कि वे इस तरह की खोजों को प्रोत्साहित करें, ताकि एचआईवी/एड्स से जंग जीती जा सके।

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