Gujjar Reservation In Rajasthan: जयपुर, [30/6/2025]: राजस्थान में गुर्जर आरक्षण संघर्ष समिति की मांगों को लेकर एक महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है। राज्य सरकार ने इन मांगों पर विचार करने के लिए एक कैबिनेट सब-कमेटी का गठन किया है। इस कमेटी में तीन वरिष्ठ मंत्री शामिल हैं: जोगराम पटेल, अविनाश गहलोत और जवाहर सिंह बेधम। यह आदेश कैबिनेट सचिवालय द्वारा जारी किया गया है। यह खबर सचिवालय से एसोसिएट एडिटर डॉ. तुराज शर्मा की रिपोर्ट पर आधारित है।
कमेटी का गठन, गुर्जर आंदोलन के बाद का घटनाक्रम
डॉ. तुराज शर्मा ने इस खबर पर विस्तार से जानकारी दी है। उन्होंने बताया कि हाल ही में गुर्जर आंदोलनकारियों ने रेल पटरियों पर वापस बैठने की बात कही थी। इसके बाद, स्थानीय स्तर पर जिला प्रशासन ने तुरंत सक्रियता दिखाई और आंदोलनकारियों के साथ समझौता किया। इस समझौते के बाद ही इस कमेटी का गठन किया गया है। पिछली सरकार में गुर्जरों की मांगों को लेकर कोई कमेटी गठित नहीं हुई थी, इसलिए इस नई सरकार द्वारा कमेटी का गठन एक बड़ा कदम माना जा रहा है।
कमेटी में शामिल मंत्री और उनकी भूमिका
कैबिनेट सब-कमेटी में शामिल मंत्रियों के नाम एक बार फिर दोहराए जा रहे हैं:
- जोगराम पटेल: ये संसदीय कार्य मंत्री हैं।
- अविनाश गहलोत: (इनकी भूमिका का स्पष्ट उल्लेख नहीं है, लेकिन वे कमेटी के सदस्य हैं।)
- जवाहर सिंह बेधम: ये गुर्जर समुदाय से आने वाले मंत्री हैं।
डॉ. तुराज शर्मा ने बताया कि गुर्जरों के आरक्षण से जुड़े सभी बिंदु सामाजिक न्याय विभाग देखता है। यह विभाग इस मामले में नोडल विभाग होगा। सामाजिक न्याय विभाग के अधिकारी भी इस कमेटी के नोडल अधिकारी के रूप में काम करेंगे।
सरकार ने पूरा किया वादा
डॉ. तुराज शर्मा के अनुसार, सरकार ने कमेटी का गठन करके अपना एक महत्वपूर्ण वादा पूरा किया है। अब जल्द ही इस कमेटी की पहली बैठक होने की संभावना है। इस बैठक में गुर्जर आरक्षण संबंधी विसंगतियों पर गहन विचार-विमर्श किया जाएगा। गुर्जर आरक्षण संघर्ष समिति लंबे समय से इन्हीं विसंगतियों को दूर करने की मांग कर रही है।

Gujjar Reservation In Rajasthan: समिति का कार्यक्षेत्र
यह कैबिनेट सब कमिटी समाज के आरक्षण संबंधी सभी बिंदुओं की समीक्षा करेगी। इसमें विशेष रूप से उन विसंगतियों को शामिल किया जाएगा जिनके बारे में गुर्जर आरक्षण संघर्ष समिति लंबे समय से आवाज उठा रही है।
सामाजिक न्याय विभाग को इस समिति का नोडल विभाग नियुक्त किया गया है। इसका मतलब यह हुआ कि सभी आवश्यक दस्तावेज, जानकारी और योजनाएं इसी विभाग के माध्यम से संचालित होंगी। नोडल अधिकारी सामाजिक न्याय विभाग से ही नियुक्त होंगे, जो समिति की तकनीकी सहायता करेंगे।
गुर्जर आंदोलन का इतिहास और मांगें
गुर्जर समुदाय राजस्थान में लंबे समय से आरक्षण की मांग को लेकर आंदोलन करता रहा है। MBC (More Backward Class) को संविधान की नौवीं अनुसूची में शामिल कराना, जिससे उन्हें सरकारी नौकरियों और शिक्षा में अधिक आरक्षण मिल सके। वर्तमान में, गुर्जर समुदाय को अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के तहत आरक्षण प्राप्त है, लेकिन वे इसे अपर्याप्त मानते हैं।
पिछले कई वर्षों में, गुर्जर आंदोलन ने कई बार हिंसक रूप भी लिया है, जिससे सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचा है और आम जनजीवन प्रभावित हुआ है। रेल पटरियों पर धरना देना और राजमार्गों को जाम करना उनके विरोध प्रदर्शन का एक आम तरीका रहा है। इन आंदोलनों के परिणामस्वरूप, राज्य सरकारों ने कई बार गुर्जर नेताओं के साथ बातचीत की है और समझौते भी किए हैं।
वर्तमान सरकार की प्राथमिकता
Gujjar Reservation In Rajasthan: वर्तमान सरकार ने गुर्जर आरक्षण के मुद्दे को गंभीरता से लिया है। कमेटी का गठन इस बात का प्रमाण है कि सरकार इस मुद्दे का स्थायी समाधान निकालना चाहती है। मंत्री जवाहर सिंह बेधम का कमेटी में शामिल होना भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि वे स्वयं गुर्जर समुदाय से आते हैं और समुदाय की भावनाओं और मांगों को बेहतर तरीके से समझते हैं। जोगराम पटेल, जो संसदीय कार्य मंत्री हैं, उनकी उपस्थिति भी यह दर्शाती है कि सरकार इस मुद्दे पर विधायी और प्रशासनिक दोनों स्तरों पर विचार करेगी।
सामाजिक न्याय विभाग की भूमिका
सामाजिक न्याय विभाग की नोडल भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह विभाग आरक्षण से संबंधित नियमों और कानूनों का जानकार होता है। कमेटी की बैठकों में यह विभाग तकनीकी और कानूनी पहलुओं पर महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करेगा। आरक्षण से संबंधित विसंगतियों को दूर करने में इस विभाग की विशेषज्ञता महत्वपूर्ण साबित होगी। यह विभाग यह सुनिश्चित करेगा कि जो भी निर्णय लिए जाएं वे कानूनी रूप से वैध हों और सभी हितधारकों के लिए स्वीकार्य हों।
आगे की राह: बैठक और समाधान की उम्मीद
Gujjar Reservation In Rajasthan: अब सभी की निगाहें इस कमेटी की पहली बैठक पर टिकी हैं। गुर्जर आरक्षण संघर्ष समिति और समुदाय को उम्मीद है कि यह कमेटी उनकी मांगों पर सकारात्मक विचार करेगी और एक ऐसा समाधान निकालेगी जिससे उनकी लंबे समय से चली आ रही समस्या का अंत हो सके। सरकार के लिए भी यह एक चुनौती है कि वह सभी पक्षों को संतुष्ट करते हुए एक ऐसा रास्ता निकाले जिससे भविष्य में इस तरह के आंदोलन न हों।