Gram Panchayat Election Rajasthan में इन दिनों पंचायत और निकाय चुनाव को लेकर गहरी सियासी बहस छिड़ी हुई है। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष Govind Singh Dotasara ने शुक्रवार को BJP सरकार पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि राज्य में गंभीर संवैधानिक संकट की स्थिति बनी हुई है। BJP सरकार लोकतंत्र को कमजोर करने की दिशा में काम कर रही है।
डोटासरा ने अपने बयान में कहा कि स्वयं राज्य निर्वाचन आयुक्त मधुकर गुप्ता यह स्वीकार कर रहे हैं कि “यह सरकार चुनाव नहीं कराना चाहती”। इस बयान से यह स्पष्ट होता है कि भाजपा का लोकतंत्र में विश्वास नहीं है, और वह खुलेआम इस व्यवस्था की अवहेलना कर रही है। यह स्थिति राजस्थान के लोकतांत्रिक ढांचे के लिए एक बड़ा खतरा है।
Ashok Gehlot का बयान: “स्थानीय स्वशासन का गला घोंट रही भाजपा”
पूर्व CM Ashok Gehlot ने भी BJP सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि “डेढ़ साल बनाम 5 साल” की बात करने वाली BJP सरकार की ऐसी दुर्गति हो रही है कि वह पंचायतीराज और नगरीय निकायों के चुनाव तक नहीं करवा पा रही। गहलोत ने संविधान के अनुच्छेद 243-ई का उल्लेख किया, जिसमें स्पष्ट लिखा है कि पंचायतीराज के चुनाव हर 5 वर्ष में करवाए जाएंगे।
उन्होंने Supreme Court के महत्वपूर्ण फैसलों का भी जिक्र किया, जैसे गोवा सरकार बनाम फौजिया इम्तियाज़ शेख तथा अन्य केस और पंजाब राज्य निर्वाचन आयोग बनाम पंजाब सरकार केस। इन फैसलों में Supreme Court ने साफ आदेश दिया है कि हर पांच साल में पंचायती राज के चुनाव करवाए जाएं। Gehlot ने कहा कि राजस्थान की भाजपा सरकार इन सभी संवैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन कर रही है।
‘एक राज्य, एक चुनाव’ की आड़ में टले चुनाव
Gram Panchayat Election Rajasthan: डोटासरा के अनुसार, BJP सरकार ने स्थानीय स्वशासन का गला घोंटने के लिए पहले ‘एक राज्य, एक चुनाव’ की आड़ ली। इसके बाद, पंचायत और निकायों के पुनर्गठन व परिसीमन का हवाला देकर चुनावों को टाल दिया गया। परिसीमन प्रक्रिया की तारीखों में बार-बार संशोधन किया गया। आखिर में, नगरीय निकाय में आपत्तियों के निस्तारण और प्रस्तावों के अनुमोदन की The last date May 22, 2025. तय की गई थी।
लेकिन, डोटासरा ने सरकार की नीयत में खोट बताते हुए कहा कि लगभग दो महीने बीत चुके हैं। अब तक न तो परिसीमन का काम पूरा हुआ है, न ही चुनाव की तारीख तय हुई है और न ही चुनावी प्रक्रिया प्रारंभ हुई है। यही कारण है कि स्वयं निर्वाचन आयोग सार्वजनिक मंच से यह मान रहा है कि राज्य सरकार चुनाव टाल रही है। यह सीधे तौर पर संवैधानिक अधिकारों का हनन है।
अदालत में सरकार की चुप्पी और लटके मामले
सरकार पर आरोप है कि वह जानबूझकर अपने ही बनाए गए मापदंडों व नियमों के विरुद्ध परिसीमन का कार्य कर रही है। इस वजह से परेशान जनता को मजबूरन अदालत का दरवाजा खटखटाना पड़ रहा है। डोटासरा ने बताया कि कोर्ट में सरकार जवाब देने से बच रही है। इसके कारण मामले लंबित और अधिक समय तक खिंच रहे हैं। इसका सीधा परिणाम यह है कि भाजपा सरकार को चुनाव नहीं कराने पड़ रहे हैं। यह न्यायपालिका का भी अनादर है और जनता के अधिकारों का हनन।
OBC आयोग का देर से गठन: एक और बहाना?
चुनाव टालने के लिए भाजपा सरकार ने एक और रणनीति अपनाई है, ऐसा Dotasara का मानना है। उन्होंने कहा कि भाजपा ने सत्ता में आने के डेढ़ साल बाद “राजस्थानराज्य “अन्य पिछड़ा वर्ग आयोग” का गठन किया गया। इस आयोग का काम पंचायत और निकाय चुनावों में Other Backward Classes के प्रतिनिधित्व पर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करना है। Govind Singh Dotasara संकेत देते हैं कि आयोग का गठन अब हुआ है, तो उसकी प्रक्रिया पूरी होने और रिपोर्ट आने में कम से कम छह महीने का समय लगेगा। यह स्पष्ट रूप से चुनाव को और टालने का एक बहाना मात्र है।
अफसरशाही के माध्यम से सत्ता पर नियंत्रण की कोशिश
Govind Singh Dotasra ने आरोप लगाया कि सच तो यह है कि BJP सत्ता के गलत इस्तमाल से स्थानीय निकायों में निर्वाचित प्रतिनिधियों को नहीं आने देना चाहती। उनका उद्देश्य अफसरशाही के माध्यम से सत्ता पर नियंत्रण बनाए रखना है। यह स्थिति न सिर्फ लोकतंत्र के मूल सिद्धांतों पर हमला है, बल्कि संवैधानिक संस्थाओं पर दबाव डालकर निरंकुश शासन स्थापित करने का प्रयास है।
Gram Panchayat Election Rajasthan: चुनाव जनता का अधिकार है
यह पूरा घटनाक्रम राजस्थान में लोकतांत्रिक मूल्यों और संवैधानिक प्रक्रियाओं पर एक बड़ा प्रश्नचिह्न लगा रहा है। लोकतंत्र में जनता सर्वोपरि है, और चुनाव जनता का सबसे बड़ा अधिकार है। स्थानीय स्वशासन को मजबूत करना और नियमित चुनाव कराना किसी भी लोकतांत्रिक व्यवस्था की रीढ़ होती है। लेकिन, वर्तमान सरकार इन सिद्धांतों की अवहेलना करती दिख रही है।
Govind Singh Dotasra ने जोर देकर कहा कि यह सरकार लोकतंत्र की भावना के विपरीत काम कर रही है। चुनाव टालने के बार-बार के प्रयास दर्शाते हैं कि सरकार जनता के लोकतांत्रिक अधिकारों का सम्मान नहीं करती। इस स्थिति से राज्य में संवैधानिक संकट और गहराता जा रहा है, जिसका सीधा असर जनता पर पड़ रहा है। यह देखना होगा कि इस गंभीर स्थिति में राज्य निर्वाचन आयोग और न्यायपालिका क्या कदम उठाते हैं। लोकतंत्र के भविष्य के लिए यह एक महत्वपूर्ण समय है।