महाराष्ट्र के पिंपरी चिंचवड़ महानगरपालिका के Chikhli-Kudalwadi इलाके में प्रशासन ने अवैध कब्जेदारों को ध्वस्त करके बड़ी कार्रवाई की है। इस कार्रवाई को उत्तर प्रदेश की बुलडोजर नीति से भी बड़ी कार्रवाई बताया जा रहा है। बताया जा रहा है कि यह कार्रवाई इलाके में तेजी से हो रहे अवैध निर्माण और उससे होने वाली दुर्घटनाओं से बचने के लिए की गई है।
चिखली-कुदलवाड़ी में बढ़ते अवैध निर्माणों की समस्या
पिछले कुछ समय से पिंपरी-चिंचवाड़ के चिखली-कुदलवाड़ी क्षेत्र में बिना किसी अनुमति के गोदाम, छत्र टावर और व्यावसायिक प्रतिष्ठान बनाए जा रहे हैं। ये निर्माण नगर निगम के नियमों का उल्लंघन करते हैं और इनमें से कई सड़कों और सार्वजनिक क्षेत्रों के किनारों पर अतिक्रमण करके बनाए गए हैं।
निवासियों और व्यापारियों ने बार-बार अवैध निर्माण की सूचना दी। प्रशासन को इन निर्माणों के कारण यातायात जाम, घुसपैठ और आग लगने की सूचना मिलती रही। इस वजह से नगर निगम ने हस्तक्षेप करने का फैसला किया।
नगर निगम की कार्रवाई: कैसे हुई इतनी बड़ी बुलडोजर मुहिम?
पिंपरी-चिंचवड़ महानगरपालिका के ए और एफ टू एम कार्यालय ने अवैध निर्माणों के खिलाफ कार्रवाई के लिए पहले ही नोटिस भेज दिए थे, ताकि उपद्रवियों पर कोई असर न पड़े। इन संबंधित व्यक्तियों को 15 दिनों के भीतर अपने निर्माण स्वयं हटाने के निर्देश दिए गए थे। लेकिन तय समय में निर्माण न हटाए जाने पर प्रशासन ने नियमानुसार सख्त कार्रवाई की।

30 जनवरी, 2025 से महानगरपालिका ने पहले ही बड़े पैमाने पर कार्रवाई शुरू कर दी थी। इन अभियानों के दौरान 829 से अधिक अवैध निर्माणों पर बुलडोजर चलाया गया। किसी भी तरह का विरोध या हंगामा न हो, इसके लिए भारी पुलिस बल तैनात किया गया था।
अभियान के माध्यम से निम्नलिखित कार्य पूरे किए गए:
- • 829 अवैध निर्माण ध्वस्त किए गए।
- सड़कों के किनारे अतिक्रमण हटाया गया।
- अवैध कबाड़ की दुकानें और गोदाम सील किए गए।
- अवैध व्यावसायिक प्रतिष्ठान ध्वस्त किए गए।
क्यों हुई इतनी कड़ी कार्रवाई?
इस क्षेत्र में अनियमित निर्माण गतिविधि के कारण आग लगने की घटनाएं बढ़ गई हैं। अकेले वर्ष 2024 में यहां तीन से अधिक आग लगने की घटनाएं हुईं, जिससे लाखों का नुकसान हुआ। इसके अलावा:

- अवैध निर्माणों ने सड़कों को संकरा कर दिया था, जिससे यातायात जाम हो गया था।
- पार्किंग की समस्या गंभीर हो गई थी।
- बुनियादी सुविधाओं पर दबाव के कारण बिजली और पानी की समस्या और भी गंभीर हो गई थी।
इन मुद्दों को ध्यान में रखते हुए प्रशासन ने भविष्य में दुर्घटनाओं से बचने और शहर के व्यवस्थित विकास के लिए ये निर्णय लिए।
नवीनतम अपडेट: कार्रवाई के बाद क्या हो रहा है?
अभियान की सफलता के बाद नगर निगम ने यह स्पष्ट कर दिया है कि चिखली-कुदलवाड़ी में अवैध निर्माण दोबारा नहीं होने दिया जाएगा।
नगर निगम की ओर से लगातार निरीक्षण दल इलाके में मौजूद है।
अगर दोबारा अवैध निर्माण हुआ तो तुरंत कार्रवाई की जाएगी।
अवैध निर्माण हटाए जाने के बाद इलाके के पुनर्विकास का प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है।
स्थानीय निवासियों की प्रतिक्रिया
समर्थन:
समर्थकों का तर्क है कि इस कार्रवाई के कारण क्षेत्र में अराजकता और यातायात कम हुआ है, यही कारण है कि स्थानीय लोग और सामाजिक कार्यकर्ता इसे सही कदम मानते हैं।
अतिक्रमण हटाए जाने के बाद, आपातकालीन सेवाओं तक बेहतर पहुंच प्रदान की जा सकती है, जो कि कहीं अधिक चौड़ी सड़कों पर है।
विपक्ष:
व्यापार को नुकसान पहुंचा है, और दुकानदारों का दावा है कि वे कुछ वर्षों से इस सड़क पर व्यवसाय कर रहे हैं, जिससे इन अचानक घटनाओं से भारी नुकसान हुआ है।
कुछ लोगों ने यह भी दावा किया कि प्रशासन को पुनर्वास की योजना बनानी चाहिए थी।
निष्कर्ष: क्या यह कदम सही है?
चिखली-कुदलवाड़ी में बुलडोजर चलाने से यह संदेश गया है कि अब अवैध निर्माण के लिए कोई जगह नहीं है। हालांकि, इस कार्रवाई से प्रभावित लोगों में कुछ असंतोष पैदा हुआ क्योंकि पुनर्वास की कोई योजना नहीं बनाई गई।
फिर भी, प्रशासन का कहना है कि शहर में व्यवस्था और सुरक्षा के लिए यह कदम उठाना बिल्कुल जरूरी था। यह देखना दिलचस्प होगा कि प्रशासन इस क्षेत्र को कैसे आगे बढ़ाता है और अवैध निर्माण को रोकने के लिए क्या कदम उठाता है।
क्या सरकार को पुनर्वास योजना नहीं बनानी चाहिए थी? अपनी राय नीचे कमेंट करें!