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गहराई का रहस्य: angler fish की पहली तस्वीरें और हैरान कर देने वाली दुनिया

समुद्र की अथाह गहराइयों में छिपे रहस्यों में से एक, एंग्लर फिश (Angler Fish), को पहली बार शोधकर्ताओं ने अपने कैमरे में कैद किया है। यह ऐतिहासिक खोज NGO कोंड्रिक टेनेरिफ़ (Kondrik Tenerife) के वैज्ञानिकों ने 2,000 मीटर की गहराई में की है। इस मछली का वैज्ञानिक नाम मेलानोसेटस जॉनसोनाई (Melanocetus johnsonii) है, जो अपने डरावने रूप, चमकदार एंटीना और अनोखे प्रजनन तरीकों के लिए अधिक प्रसिद्ध है।

Angler Fish: एक जीवित रहस्य

1. शारीरिक बनावट: प्रकृति का डरावना चमत्कार

रोशनी वाला एंटीना: सिर पर लटकता यह अंग एक ल्यूर (चारा) का काम करता है। इसमें मौजूद बायोलुमिनेसेंट बैक्टीरिया नीली-हरी रोशनी छोड़ते हैं, जो अंधेरे में शिकार को आकर्षित करती है।

भयानक दांत: इसके नुकीले और बड़े दांत शिकार को फँसाने के लिए डिज़ाइन किए गए हैं। ये दांत इतने तेज़ होते हैं कि शिकार बच नहीं पाता।

नर vs मादा: मादा एंग्लर फिश की लंबाई 1 मीटर तक हो सकती है, जबकि नर सिर्फ 2-3 सेमी के होते हैं!

2. प्रजनन: जीव विज्ञान का अजीबोगरीब नमूना

नर का विलय: प्रजनन के दौरान नर, मादा के शरीर से चिपक जाता है और धीरे-धीरे उसके ऊतकों में विलय हो जाता है। इस प्रक्रिया में नर सिर्फ शुक्राणु उत्पादन का काम करता है।

10 लाख अंडे: एक मादा एक बार में इतने अंडे देती है, जिन्हें समुद्र की धाराएँ बहा ले जाती हैं।

3. आवास: अंधेरे का साम्राज्य

यह मछली अटलांटिक और अंटार्कटिक महासागरों की मेसोपेलाजिक और बैथीपेलाजिक ज़ोन (200-3,000 मीटर गहराई) में रहती है।

यहाँ सूरज की रोशनी नहीं पहुँचती, और पानी का दबाव सतह से 100 गुना अधिक होता है।

शिकार का अनोखा तरीका: रोशनी का जाल

बायोलुमिनेसेंस का फंदा: एंग्लर फिश अपने एंटीना को हिलाकर छोटी मछलियों और क्रस्टेशियन्स को लुभाती है

बिजली की रफ़्तार से हमला: शिकार के करीब आते ही यह अपने विशाल मुँह को 0.001 सेकंड में खोलकर उसे निगल जाती है।

मुलायम पेट: इनका पेट इतना फैल सकता है कि यह अपने से दोगुने आकार का शिकार भी खा सकती है।

वैज्ञानिकों के लिए क्यों है खास?

जैविक अनुकूलन का मास्टरपीस: अंधेरे, ठंड, और भीषण दबाव में जीवित रहने की क्षमता वैज्ञानिकों के लिए शोध का विषय है।

जलवायु परिवर्तन का सूचक: गहरे समुद्र के तापमान और ऑक्सीजन स्तर में बदलाव से एंग्लर फिश की आबादी पर पड़ने वाले प्रभावों का अध्ययन किया जा रहा है।

दवाओं की खोज: इनके बायोलुमिनेसेंट बैक्टीरिया से कैंसर रिसर्च में मदद मिल सकती है।

कोंड्रिक टेनेरिफ़ की खोज: तकनीक का कमाल

ROV (रिमोटली ऑपरेटेड व्हीकल): इस रोबोटिक सबमर्सिबल ने 4K कैमरों से मछली की विस्तृत तस्वीरें लीं।

विशेष लाइटिंग: गहराई में रोशनी के बिना तस्वीरें लेना असंभव था, इसलिए लाल रोशनी का इस्तेमाल किया गया, जो समुद्री जीवों को परेशान नहीं करती।

एंग्लर फिश से जुड़े रोचक तथ्य

कभी नहीं भरता पेट: गहराई में भोजन की कमी के कारण यह महीनों भूखी रह सकती है।

दुनिया की सबसे विचित्र मछलियों में शुमार: नेशनल ज्योग्राफिक ने इसे “द मॉन्स्टर ऑफ़ द डीप” नाम दिया है।

फीमेल डोमिनेशन: 90% प्रजातियों में मादा, नर से 10 गुना बड़ी होती है।

समुद्री जैवविविधता के लिए महत्व

एंग्लर फिश गहरे समुद्र के पारिस्थितिकी तंत्र का अहम हिस्सा है। यह छोटी मछलियों की आबादी नियंत्रित करके समुद्र के संतुलन को बनाए रखती है। इसकी खोज से वैज्ञानिकों को समुद्री प्रदूषण, प्लास्टिक कचरे के प्रभाव, और ग्लोबल वार्मिंग के अध्ययन में मदद मिलेगी।

निष्कर्ष:

एंग्लर फिश प्रकृति की वह अद्भुत रचना है, जो गहराई के अंधेरे को अपनी रोशनी से जीवंत बनाती है। कोंड्रिक टेनेरिफ़ की यह खोज न सिर्फ विज्ञान, बल्कि मानवता को समुद्र के गूढ़ रहस्यों से रूबरू कराती है।

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