झारखंड के पलामू ज़िले में पुलिस के साथ मुठभेड़ में बदनाम गैंगस्टर Aman Sahu को गोली मारकर ढेर कर दिया गया । अमन पर NTPC के डिप्टी जनरल मैनेजर कुमार गौरव की हत्या का आरोप था, जिसके चलते उसे गिरफ़्तार किया गया था। उसे छत्तीसगढ़ की रायपुर जेल में रखा गया था और पुलिस उसे रांची ले जा रही थी। रास्ते में अमन ने भागने की कोशिश की और पुलिसकर्मियों पर हमला किया, पुलिसकर्मियों से INSAS राइफल छीनकर भागने की कोशिश की। पुलिस के मुताबिक, अमन ने जवान पर गोली चलाई, जिससे एक जवान घायल हो गया। मजबूरन पुलिस को जवाबी कार्रवाई करनी पड़ी और इसी दौरान अमन साहू मारा गया।
झारखंड के पलामू में हुई इस मुठभेड़ के बारे में पुलिस ने बताया कि अमन के साथियों ने उसे छुड़ाने के लिए बम फेंका, लेकिन पुलिस ने स्थिति को तुरंत कंट्रोल कर लिया। हालांकि, अमन ने भागने की कोशिश में गोलीबारी शुरू कर दी, जिसके बाद उसे ढेर करना पड़ा।
सोशल मीडिया पर धमकी भरा पोस्ट: ‘डर के दूसरे नाम’ थे Aman Sahu?
एनकाउंटर से ठीक 15 घंटे पहले Aman Sahu ने फेसबुक पर एक तस्वीर पोस्ट की थी। इस फोटो में वह एक बड़े सोफे पर शानदार पोज देते नजर आए। कैप्शन में लिखा था, “डर का दूसरा नाम…”। हैरानी की बात यह है कि उनका सोशल मीडिया अकाउंट विदेश से चलाया जा रहा था। पुलिस का मानना है कि अमन अपने गैंग के सदस्यों को संदेश भेजने के लिए सोशल मीडिया का इस्तेमाल करता था।
कौन था अमन साहू? झारखंड से लेकर छत्तीसगढ़ तक दहलाता था दबदबा
अमन साहू का जन्म झारखंड के रांची जिले के माटबे गांव में हुआ था। 2013 में उसने अपने गैंग का गठन किया और धीरे-धीरे झारखंड-छत्तीसगढ़ की सीमाओं पर कब्जा जमा लिया। उसके नाम 200 से ज्यादा मामले दर्ज हैं, जिनमें हत्या, डकैती, और माओवादी गतिविधियों में शामिल होने के आरोप शामिल हैं।
लॉरेंस बिश्नोई से था कनेक्शन
अमन साहू लॉरेंस बिश्नोई, गुजरात की साबरमती जेल में बंद बदनाम गैंगस्टर है उसका का करीबी माना जाता है। पुलिस सूत्रों के मुताबिक, अमन ने बिश्नोई गैंग के साथ मिलकर कई बड़ी वारदातें अंजाम दिया। इसमें कोरबा में बारबारिक ग्रुप के ऑफिस पर फायरिंग और रायपुर के बिजनेसमेन को धमकी देने की घटनाएं शामिल हैं।
क्यों चर्चा में था अमन साहू का नाम?
कोरबा फायरिंग केस (2021): अमन के गैंग ने कोरबा में एक कंपनी के पार्टनर के घर के बाहर गोलियां चलाईं। इसके बाद पुलिस ने उसके 4 साथियों को गिरफ्तार किया था।
रायपुर में डकैती की योजना (2023): अक्टूबर 2023 में रायपुर पुलिस ने अमन को गिरफ्तार किया। उस पर गंज थाना क्षेत्र में कोयला व्यापारी के ऑफिस पर एरियल फायरिंग और डकैती की साजिश का आरोप था।
माओवादी लिंक: अमन पर छत्तीसगढ़ और झारखंड में नक्सलियों को हथियार सप्लाई करने का भी शक था।
कैसे पकड़ा गया था अमन साहू?
अक्टूबर 2024 में रायपुर पुलिस ने अमन साहू को ट्रांजिट रिमांड पर ले जाया गया। उसे दो अलग-अलग केसों में पूछताछ के लिए रायपुर लाया गया था। 12 मार्च को उसे ATS कोर्ट में पेश किया जाना था, लेकिन इससे पहले ही एनकाउंटर हो गया।
लोगों की प्रतिक्रिया: “अब सांस ले सकेंगे व्यापारी”
अमन साहू के एनकाउंटर की खबर से झारखंड और छत्तीसगढ़ के व्यापारी राहत महसूस कर रहे हैं। रायपुर के एक कोयला व्यापारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, “अमन ने कई लोगों को जान से मारने की धमकी दी थी। उसके खात्मे के बाद अब हम सुरक्षित महसूस कर रहे हैं।”
हालांकि, कुछ लोगों को शक है कि यह एनकाउंटर असल में एक “फेक एनकाउंटर” तो नहीं था। इस पर पुलिस ने साफ कहा है कि अमन ने पहले हमला किया था, इसलिए जवाबी कार्रवाई जरूरी थी।
अमन साहू का क्रिमिनल करियर: 10 साल में 200 केस
- 2013: गैंग बनाकर पहली डकैती।
- 2015: माओवादियों के साथ हथियारों की तस्करी में नाम आया।
- 2018: झारखंड के एक नेता की हत्या का मुख्य आरोपी।
- 2020: रायपुर में पहली बार गिरफ्तारी, जमानत पर छूटा।
- 2023: कोरबा फायरिंग केस में नाम आया।
पुलिस की चेतावनी: “गैंग अब भी एक्टिव”
झारखंड पुलिस के SP ने बताया कि Aman Sahu का गैंग अब भी सक्रिय है। उनके कुछ साथी विदेशों में बैठकर ऑपरेशन चला रहे हैं। पुलिस ने लोगों से सतर्क रहने की अपील की है।
क्या खत्म हुआ खतरा?
अमन साहू का एनकाउंटर झारखंड पुलिस के लिए बड़ी सफलता है, लेकिन उसके गैंग के सदस्य अब भी फरार हैं। पुलिस का कहना है कि वे बाकी अपराधियों को भी जल्द पकड़ने में जुटे हैं। आम जनता को उम्मीद है कि अब उनके इलाके में शांति लौटेगी।
यह खबर स्थानीय सूत्रों और पुलिस रिपोर्ट्स पर आधारित है। घटना की और जानकारी सामने आने पर अपडेट किया जाएगा।