नई दिल्ली। भारत और ब्रिटेन के बीच तनाव एक बार फिर चरम पर है। विदेश मंत्री S. Jaishankar की लंदन यात्रा के दौरान उनकी सुरक्षा में हुई गंभीर चूक को लेकर भारत ने ब्रिटिश सरकार के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया है। बुधवार को लंदन के फेमस थिंक टैंक ‘चैथम हाउस’ के बाहर खालिस्तानी समर्थकों के एक समूह ने जयशंकर के काफिले पर हमला बोल दिया। यह घटना न केवल ब्रिटेन में भारत-विरोधी तत्वों की बढ़ती हिमाकत को उजागर करती है, बल्कि ब्रिटिश प्रशासन की “लापरवाही” पर गंभीर सवाल खड़े करती है।
वह वीडियो जिसने बढ़ाई चिंता: “तिरंगा अपमान” की कोशिश
घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हुआ है। इसमें देखा जा सकता है कि जैसे ही S. Jaishankar चैथम हाउस से बाहर निकले, सड़क के किनारे खड़े पीले झंडे लहराते खालिस्तानी प्रदर्शनकारियों ने भारत विरोधी नारेबाजी शुरू कर दी। इसी बीच, एक लंबे दाढ़ी वाला व्यक्ति पुलिस के बैरिकेड को पार करते हुए काफिले की ओर दौड़ा। उसने जयशंकर की गाड़ी को रोकने की कोशिश की और तिरंगे का अपमान करने के लिए आगे बढ़ा। हालांकि, मेट्रोपॉलिटन पुलिस ने उसे आखिरी पल में पकड़ लिया। यह घटना महज 30 सेकंड की थी, लेकिन भारतीय प्रतिष्ठा के लिए बड़ा झटका बन गई।
ब्रिटिश पुलिस की लापरवाही? सवालों के घेरे में यूके प्रशासन
भारतीय विदेश मंत्रालय ने इस घटना को “सुरक्षा प्रोटोकॉल की गंभीर विफलता” बताया है। जानकारों के मुताबिक, विदेशी नेता की सुरक्षा के लिए होस्ट देश की जिम्मेदारी होती है कि वह ऐसे जोखिमों को पहले ही भांप ले। लेकिन ब्रिटिश पुलिस ने खालिस्तानी समूह की मौजूदगी को लेकर कोई पूर्व तैयारी नहीं दिखाई। सवाल उठ रहा है: क्या यह सुरक्षा चूक थी या फिर ब्रिटेन की “जानबूझकर उदासीनता”?
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रंधीर जैसवाल ने कहा, “हमने इस घटना के फुटेज देखे हैं। अलगाववादियों और चरमपंथियों की यह कार्रवाई लोकतंत्र की आड़ में की गई उकसाऊ हरकत है। हम ब्रिटेन सरकार से अपेक्षा करते हैं कि वह कूटनीतिक दायित्वों का पालन करे।”
ब्रिटेन को भेजा विरोध-पत्र: “यह दोहरा रवैया बंद हो”
घटना के अगले ही दिन, भारत ने ब्रिटिश हाई कमिशन के चार्ज डी’अफेयर्स को विदेश मंत्रालय बुलाया और एक कड़ा विरोध पत्र सौंपा। इसमें कहा गया कि ब्रिटेन की जमीन पर भारत-विरोधी तत्वों को बढ़ावा देना द्विपक्षीय संबंधों के लिए हानिकारक है। सूत्रों के मुताबिक, भारत ने यह भी स्पष्ट किया कि “एक ओर FTA (मुक्त व्यापार समझौते) की बात करना और दूसरी ओर आतंकवादियों को पनाह देना, यह नीति अस्वीकार्य है।”
पिछले रिकॉर्ड भी खराब: लंदन में बार-बार क्यों हो रही हैं ऐसी घटनाएं?
यह पहली बार नहीं है जब ब्रिटेन में भारतीय प्रतिनिधियों को निशाना बनाया गया है:
- मार्च 2023: खालिस्तानी समर्थकों ने लंदन स्थित भारतीय उच्चायोग से तिरंगा उतारा और भारत विरोधी नारे लगाए।
- सितंबर 2022: लीसेस्टर स्क्वायर पर खालिस्तानी झंडा लहराया गया, जिसे ब्रिटिश पुलिस ने अनदेखा किया।
- 2020: तत्कालीन उच्चायुक्त रुचिरा कंबोज की गाड़ी पर प्रदर्शनकारियों ने हमला किया था।
इन सभी मामलों में ब्रिटिश प्रशासन की प्रतिक्रिया नरम रही है। भारत का आरोप है कि ब्रिटेन “अभिव्यक्ति की आजादी” के नाम पर आतंकवादी समूहों को संरक्षण दे रहा है।
ब्रिटेन की चुप्पी का राज: क्या है ‘खालिस्तान’ कार्ड की सियासत?
- राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि ब्रिटेन की नीति में दोगलापन छिपा रहा है:
- आर्थिक हित: ब्रिटेन भारत के साथ FTA पर समझौता करना चाहता है, जो उसकी अर्थव्यवस्था के लिए फायदेमंद होगा।
- घरेलू दबाव: ब्रिटेन में सिख मतदाताओं का एक बड़ा वर्ग है। कुछ राजनीतिक दल उन्हें खुश करने के लिए खालिस्तानी समर्थकों को टोलरेट करते हैं।
- ऐतिहासिक संबंध: 1980 के दशक में पंजाब में आतंकवाद के दौरान कई खालिस्तानी नेता ब्रिटेन पलायन कर गए थे। वे अब वहां से फंडिंग और प्रोपेगैंडा चला रहे हैं।
भारत की चेतावनी: “रिश्ते टूटने की कगार पर”
भारत ने ब्रिटेन को स्पष्ट संदेश दिया है कि यदि खालिस्तानी गतिविधियों पर अंकुश नहीं लगाया गया, तो द्विपक्षीय संबंध गंभीर संकट में फंस जाएंगे। FTA वार्ता पहले ही अटकी हुई है, और इस घटना के बाद भारत का रुख और सख्त हो सकता है। सूत्रों के मुताबिक, भारत ने निम्न मांगें रखी हैं:
- खालिस्तानी समूहों को आर्थिक फंडिंग रोकना।
- भारतीय दूतावास और कूटनीतिक कर्मियों के लिए बढ़ाई गई सुरक्षा।
- पिछले हमलों के दोषियों को कानून के घेरे में लाना।
ब्रिटेन की प्रतिक्रिया: “अस्वीकार्य है यह घटना”
ब्रिटेन के विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी कर कहा, “हम किसी भी सार्वजनिक कार्यक्रम में बाधा डालने की कोशिश को अस्वीकार करते हैं। हम भारत सरकार के साथ मिलकर इसकी जांच करेंगे।” हालांकि, भारतीय पक्ष को यह जवाब सही नहीं लग रहा है।
भारतीय राजनीति में गूंज: मोदी” सरकार सख्ती दिखाए”
कांग्रेस नेता जयराम रमेश: “ब्रिटेन को भारत की संप्रभुता का सम्मान करना चाहिए। यदि वे ऐसी घटनाओं को रोक नहीं सकते, तो FTA पर बातचीत निरर्थक है।”
शिवसेना के संजय राउत: “ब्रिटेन को चाहिए कि वह भारत के दुश्मनों को अपनी धरती पर पनाह देना बंद करे।”
पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान: “खालिस्तानी एजेंडा पंजाब या भारत के किसी भी हिस्से में समर्थन नहीं रखता। यह साजिश विदेशों से रची जा रही है।”
विशेषज्ञों की नजर में: “ब्रिटेन को चुनना होगा रास्ता”
सुरक्षा विश्लेषक तनुजा मनचंदा: “ब्रिटेन की खुफिया एजेंसियों को पता होता है कि कौन से समूह हिंसा फैलाने वाले हैं। यदि वे सक्रिय नहीं हुए, तो यह जानबूझकर की गई लापरवाही है।”
अंतरराष्ट्रीय संबंध प्रो. हर्षवर्धन त्रिपाठी: “भारत को ब्रिटेन के साथ सभी वार्ताओं को निलंबित करना चाहिए, जब तक कि वे विश्वास बहाल करने के लिए ठोस कदम न उठाएं।”
निष्कर्ष: क्या ब्रिटेन भारत का ‘विश्वसनीय साझेदार’ है?
S. Jaishankar की सुरक्षा चूक ने एक बार फिर साबित कर दिया कि ब्रिटेन भारत की सुरक्षा चिंताओं को गंभीरता से नहीं ले रहा। यदि ब्रिटेन वास्तव में भारत के साथ रणनीतिक साझेदारी चाहता है, तो उसे खालिस्तानी समूहों की छूट पर रोक लगानी होगी। अन्यथा, भारत को भी ब्रिटेन के प्रति अपने रुख में बदलाव करना पड़ सकता है। अब यह ब्रिटेन पर निर्भर है कि वह भारत का भरोसा जीतने के लिए कितना गंभीर है।